Wednesday, October 3, 2012

बापू तुम्हे आज पुकारते हैं


बापू तुम्हे आज वही पुकारते हैं, 
हर चौरह पर तुम्हारे नाम से जो भागते हैं, 
देते है वो दलील हिंद को बचाने की,
मगर तुम्हारे हर अंजाम को लांघते हैं !

खबर नहीं अपने क़दमों की उन्हें,
दुसरे के क़दमों को रोकते हैं,
तुम्हारी दी राह को कर अनदेखा,
गैरों की राह पर देश को झोकते हैं !

लुट कर अस्मत इस देश की 
महल खुद के बनाते हैं,
कुर्सी हर हाल में हो उनकी,
बेटों को भी चुनाव लड़ते हैं !

गिद्ध सा झपटे हैं ये कुर्सी पर,
घोटालों का अम्बर लगते हैं,
ये कैंसी राह है अहिंसा की बापू,
तुम्हारे नाम पर देश को सताते हैं ! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Saturday, September 29, 2012

ये खेल निराला है


टांग खिंच कर अपनों की, 
जहाँ ख़ुशी मानते हैं लोग,
दे कर धोखा अपने को ही 
करते चतुराई का उपयोग !

खरीद पोख्त का मायावी,
बढ रहा अब ये कारोबार,
गाँव गरीवों से नोट चुराकर,
करते खुल कर यहाँ व्यापर !

देश धर्म से ऊपर उठ कर,
खुद को कहते पालनहार,
वोट मांगने दर पर पहुंचे,
देखो इनको कितने लाचार !

बन विजयी देखो इनको,
लगते राणा के अवतार,
लुट पाट में गजनी बन बैठे,
भूल गए लोगों का उपकार !

बड़े बड़े महारथी यहाँ,
चोरी का तगमा पहने हैं,
पूती है कालिख हर चहरे पर,
अकेले अकेले ये सहमे है ! -!!!!! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

नोट: शव्द सारांश 

1. राणा - महाराणा प्रताप 
2. गजनी - मोहमद गजनी 

Monday, September 24, 2012

जन्म का कारण उदासी है


ह्रदय के उदासी आलम से,

कविता का जन्म होता है !

लोग पढ़ वाह वाही करते हैं,

हृदय बादल सा रोता है !

आँखों से निकलता ही नहीं नीर,

और कई पीर एहसासों में बह जाते हैं !

कोई बोलना ही नहीं चाहता मन की,

और शव्द फिर भी कह जाते हैं !

मगर दीखता है किस को ये,

लोग पढ़ कर चले जाते हैं !

शव्द हँसते हैं हमारे हमी पर,

हम को रोज़ चिढाते हैं !  

मन की घुटन कहाँ दफ़न करें अब,

हर रोज़ शव्दों पे चिता लगाते हैं  ! ........ रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

Wednesday, September 19, 2012

ये जीवन कुछ ऐंसा भी है


विन दर्पण में देखे हम,

जीवन की मांग भरते हैं,

सुइयां घडी की पकड़ के,

सोते हैं और जागते हैं !

यादों में लेके जो चलते हैं हम,

वो कहाँ राहों में हमें मिलते हैं !!!!!!!!! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
 


Tuesday, September 4, 2012

बथौंउं


फुर्र फुर्र औंदी यु डांडियों कु बथौंउं,

जुकुड़ी मा मेरी कुद्ग्याली लगणु !

घर गौं की खुद यु समुणु लागी,

तिसोली आन्ख्यो की प्यास बुझणु !! ..........गीत राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  




सांसों का आशियाना


निकले कदम कितने ही आगे,
हाथ कुदरत ने आज भी थामा है !
ये जीवन तब तक चलता है अपना,
जब तक सांसों का इस पर आशियाना है !!.....रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 


Saturday, September 1, 2012

सांसों को को देखता ही नहीं

दिल ले गया था कोई कभी 
अब तो जिस्म ही बेजान है !
सांसों को कोई देखता ही नहीं, 
पत्थर भी कहने को यहाँ भगवान  है !! .......रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...