Thursday, September 27, 2018

भगदड़


यूँ ही उलझो और उलझाते रहो, हर दमन चमन की नीतियों को क्षणिक नही बौराए उनसे कभी जो मसल रहे अपनी रीतियों को। क्यों किसके लिए आज बौखलाये खुद को कुचने की साजिश रचते हो कर रहे हो निरंतर पूजन आकाओं का अपनों के बढ़ते शहीदों का तंज कसते हो। @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...