Monday, July 1, 2019

तुम आते हो यादों में क्यों
ऐंसा कौन सा काम किया,
बातें की थी बातों का क्या
क्यों सपनों को थाम लिया।

पग पग पर बैठे हैं सब वो
मान लूँ कैंसे तुम ही रब हो।
शक्ल सूरत के भंडार नही हैं
जलते क्यों हो अँगार नही हैं।

तुम आते हो यादों में क्यों
ऐंसा कौन सा काम किया,
बातें की थी बातों का क्या
क्यों सपनों को थाम लिया।

बहते जल सा है निर्मल मन
गीली मिट्टी है चर्चित ये तन।
कभी धुलता है कभी घुलता है
रहो किनारे यूँ करो जतन।

धूप छाव को लेकर चलते
तन-मन को लेप न करते।
नजरों के इन पहरों पर तो
कैंसे हम यूँ खेद न करते।

तुम आते हो यादों में क्यों
ऐंसा कौन सा काम किया,
बातें की थी बातों का क्या
क्यों सपनों को थाम लिया। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'






मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।