Tuesday, August 14, 2018

हमने चोटें ही तो खाई है
बचपन से इस माटी में,
कभी आरक्षण कभी घोटाले
वोटों की इन जाति में।
निकले थे सबेरा देखने
उस अंधियारी घाटी में,
जल रहे हैं अरमान अब
दीप तले छाती में। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...