Friday, February 6, 2015

बदल रही हैँ रूख हवाएँ
बादल आने जाने हैँ
बढ़ते रहो तुम राह पर अपने
मौसम सब बेगाने हैँ ।
जाने कितनी ठोकर आएँ
पल पल यूँ तुम गिर भी पडोगे
रूकना नही है तुमको फिर भी
यूँ ही एक दिन शिखर चढोगे ।
बदल रही हैँ रूख हवाएँ
बादल आने जाने हैँ
बढ़ते रहो तुम राह पर अपने
मौसम सब बेगाने हैँ ।
कभी बिखरेगा विश्वास तुम्हारा
मिलता रहेगा एहसास दूवारा
तुम गति को अपनी रोक न देना
बहती धारा मे झोंक न देना ।
बदल रही हैँ रूख हवाएँ
बादल आने जाने हैँ
बढ़ते रहो तुम राह पर अपने
मौसम सब बेगाने हैँ ।
संकट तुमको मिलेगा जो
उस संकट के लिए तुम खुद संकट हो
इस धरती पर जीता वही है
इसान्यित जिस पर प्रकट हो ।
बदल रही हैँ रूख हवाएँ
बादल आने जाने हैँ
बढ़ते रहो तुम राह पर अपने
मौसम सब बेगाने हैँ । रचना @ सर्वाधिकार, सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
कोई कहता आतंकी है
कोई उन्मादी बताता है
कोई भगोडा कहता उसको
कोई चंदा चोर बताता है ।
देश का मुख्या उतर सड़क पर
क्यों इतना भय खाता है
ताकत कदमों मे है उसकी
तभी सरकार हिलाता है ।
कोई कहता आतंकी है
कोई उन्मादी बताता है
कोई भगोडा कहता उसको
कोई चंदा चोर बताता है ।
कितनो ने छिनी रोटी हमारी
कितनो ने जन धन लुटे हैँ
बैठे हैँ जो संसद मे
उनके कितने मुखोटे है
आन पड़ी है अब सामत उनकी
एक एक कर सब घायल हैँ
विकासवादी भी भूल विकास को
नाच रहे बिन पायल हैँ ।
कोई कहता आतंकी है
कोई उन्मादी बताता है
कोई भगोडा कहता उसको
कोई चंदा चोर बताता है ।
पुलिस प्रशासन पग पग बाधा
भारत भूमि की मर्यादा है
स्वराज का नारा देने वाला
ये स्वराज तेरा कुछ ज्यादा है ।
कोई कहता आतंकी है
कोई उन्मादी बताता है
कोई भगोडा कहता उसको
कोई चंदा चोर बताता है । @ रचना - सर्वाधिकार, सुरक्षित, राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।