Wednesday, September 25, 2013

मैं पत्थर हूँ (main patthar hun )


मंदिर में रख दो मुझको, 

या ठुकरा दो चौराहों पर l

मैं पत्थर हूँ पत्थर ही रहूँगा,

हे मानव मुझे गुमराह न कर ll

संवार कर यूँ न रख मुझे,

मैं सारे जहाँ का ठुकराया हूँ l

हंस कर रो न पाउँगा फिर,


मैं पल पल का सताया हूँ ll -  रचना – राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी’


मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...