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Monday, February 21, 2022
जन्मजात योग्यता
Tuesday, February 1, 2022
जिंदगी हमें घसीट तो नही रही है ?
समय कहीं हमें घसीट तो नही रहा है?
दुनियाँ का हर व्यक्ति खुद के लिए चतुर होता है, आज हर तीसरा व्यक्ति अच्छा पढ़ा लिखा है, हर छोर पर अच्छी जॉब भी है और अच्छा व्यवसाय भी साथ ही साथ रिस्क लेने की क्षमताओं में भी इजाफा हुआ है। पैंसा एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत कुछ है मगर सब कुछ नही यदि आज अपने चारों ओर नजर उठा के देखते हैं तो हर ओर एक नया स्टार्टअप नजर आ जायेगा। चाहे वो ट्रैवलिंग से सम्बंधित हो, खाने से सम्बंधित हो, फाईनेंस से सम्बंधित हो, दुकान या मॉल से सम्बंधित हो, पढ़ाई से सम्बंधित हो,लेखन से सम्बंधित हो,मंच से सम्बंधित हो, स्कूल या कालेज से संबंधित हो या तकनीकी डिग्री या सर्टिफिकेशन से सम्बंधित हो या राजनीति से सम्बंधित हो। लगभग हर क्षेत्र में नये नये लोगों ने परिचम लहराया है। मगर ये भी सच है कि अधिकांश मुँह लटकाये बैठे हैं उन्हें तनाव के साथ साथ अपनी शैक्षिक डिग्रियों ने घेर कर रख दिया है और जॉब के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसमे न तो उनकी गलती है और न ही उनके घर वालों की बल्कि एक तरफ दौडती हुई दुनियाँ की गलती है। लोग सब कुछ जान कर भी जॉब के लिए उतावले हो जाते हैं और जब अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप पारिश्रमिक नही खोज पाते हैं तो तनाव ने जीने लगते हैं या अपनी आकांक्षाओं को वहीं पर खत्म कर लेते हैं, या अपने अनुभव को अपने मन मस्तिष्क पर बोझ बना कर खुद से कम्प्रोमाइज की जिंदगी जीने लगते हैं। यदि आप भी इस जीवन के चक्र में फंसे घुट रहे हैं तो अपने स्किल्स को डेवेलॉप कीजिए साथ ही सकारात्मक रुख से आगे कदम बढ़ाने की चेष्ठा कीजिए। रास्ता है और जरूर मिलेगा धौर्य धारण कीजिए। मैं कोई मोटिवेशन ट्रेनर नही हूँ और न ही किसी को भ्रमित करने हेतु लिखता हूँ। यह सब मेरा अनुभव है। मेरे जैसे कई लोग होंगे जो आगे बढ़ना चाहाते हैं मगर उन्हें उनकी परिस्थितियां रोक रही हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन्हें उनके स्किल्स मालूम नही होंगे क्योंकि हमारी स्कूली शिक्षा हमें वो सब नही सीखाती हो जीवन को व्यवहारिक बना पाये,आज हमारे देश को स्वतंत्र हुये वर्षों हो चुके हैं मगर देश की अपनी मातृभाषा में कहीं भी 20 से 50 हजार या यूँ कहें लो प्रोफाईल वाली जॉब के लिए इन्टरव्यू का प्रथम गंतव्य अँग्रेजी से ही शुरू होता है। लेकिन कितने प्रतिशत लोग अँग्रेजी में परिपूर्ण हैं। देश का 70% तबका आज भी हिंदी ठीक नही बोल पता है। आप विश्लेषण खुद कीजिए सब कुछ आपके सामने है।
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मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)
यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...
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