Thursday, May 17, 2012

ऑंखें 

इन आँखों के सामने से निकलता है सबेरा 
इन आँखों के सामने से निकलता है अँधेरा 
इन की ख़ामोशी पे गौर कीजियेगा 
इनको शिकवा फिर भी किसी से नहीं .............रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'








धरती तो लुट ली इंसानियत ने,
अब आसमां लुटने निकले है 
परिंदे भी क्या करें बेचारे,
अब अन्धेंरे से भी डरते हैं .......रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  








चले तो किस से चलें 


पांवों से चलने को सफ़र कहते है लोग 
आँखों से चलें तो डगर कहते हैं लोग 
श्वांसों से चल दिए तो अफसाना 
और मन से चल दिए तो मस्ताना .......रचना- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 









मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...