Monday, September 24, 2012

जन्म का कारण उदासी है


ह्रदय के उदासी आलम से,

कविता का जन्म होता है !

लोग पढ़ वाह वाही करते हैं,

हृदय बादल सा रोता है !

आँखों से निकलता ही नहीं नीर,

और कई पीर एहसासों में बह जाते हैं !

कोई बोलना ही नहीं चाहता मन की,

और शव्द फिर भी कह जाते हैं !

मगर दीखता है किस को ये,

लोग पढ़ कर चले जाते हैं !

शव्द हँसते हैं हमारे हमी पर,

हम को रोज़ चिढाते हैं !  

मन की घुटन कहाँ दफ़न करें अब,

हर रोज़ शव्दों पे चिता लगाते हैं  ! ........ रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...