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Wednesday, December 18, 2019

बड़ा नही हूँ

बड़ा नही हूँ
हक भी नही है
बड़ा होने का!
अपनों के बीच
अपनों में रहना
अद्भुत अंदाज है
अपना होने का!
चौक खड़ियाँ वो सिलेटें
कब छोड़ दी, नही जानता
हाँ तेरे आने से
कुछ बदला है कद
मेरे छोटे होने का।
पानी धूप और हवा ने
कभी आवाज नही दी
जैंसे तुम दे रहे हो
कुछ अलग होने का।
क्या चाहते हो
अब यूँ जल कर
धूप खिला पाओगे
एक टाँग पर खड़े होकर
क्या एहसास है होने का। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'








Thursday, May 30, 2019

परिवर्तन

जमीं बंजर नही रखनी, कुछ तो होने दो,
सब कुछ जिनका लूटा, उन्हें बस सोने दो! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी


Wednesday, May 22, 2019

वक्त

तेरा मेरा कब किसका,
देखो कैंसा निकलता है!
पल पल में ये जीवन,
ये तो वक्त बदलता है!

कुछ तुम्हारी रखता है
कुछ हमारी रखता है
हम तुम क्या बोलें इस पर
ये तो वक्त बदलता है!

नजरों ने जो कैद किया,
कब याद कोई रखता है!
तुम हैरान हुये क्यों इस पर,
ये तो वक्त बदलता है। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'








मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।