Saturday, January 19, 2013

धरती

ये धरती कब क्या कुछ कहती है

सब कुछ अपने पर सहती है,

तूफान उड़ा ले जाते मिटटी,

सीना फाड़ के नदी बहती है !

सूर्यदेव को यूँ  देखो तो,

हर रोज आग उगलता है,

चाँद की शीतल छाया से भी,

हिमखंड धरा पर पिघलता है !

ऋतुयें आकर जख्म कुदेरती,

घटायें अपना रंग जमाती,

अम्बर की वो नीली चादर,

पल पल इसको रोज़ सताती !

हम सब का ये बोझ उठाकर,

परोपकार का मार्ग दिखाती,

सहन शीलता धर्मं है अपना,

हमको जीवन जीना सिखाती !  -  रचना  - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

















सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...