Wednesday, October 3, 2012

बापू तुम्हे आज पुकारते हैं


बापू तुम्हे आज वही पुकारते हैं, 
हर चौरह पर तुम्हारे नाम से जो भागते हैं, 
देते है वो दलील हिंद को बचाने की,
मगर तुम्हारे हर अंजाम को लांघते हैं !

खबर नहीं अपने क़दमों की उन्हें,
दुसरे के क़दमों को रोकते हैं,
तुम्हारी दी राह को कर अनदेखा,
गैरों की राह पर देश को झोकते हैं !

लुट कर अस्मत इस देश की 
महल खुद के बनाते हैं,
कुर्सी हर हाल में हो उनकी,
बेटों को भी चुनाव लड़ते हैं !

गिद्ध सा झपटे हैं ये कुर्सी पर,
घोटालों का अम्बर लगते हैं,
ये कैंसी राह है अहिंसा की बापू,
तुम्हारे नाम पर देश को सताते हैं ! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

4 comments:

Unknown said...

बापू तुन्हें आज वही पुकारते हैं,
हर चौरह पर तुम्हारे नाम से जो भागते हैं,
देते है वो दलील हिंद को बचाने की,
मगर तुम्हारे हर अंजाम को लांघते हैं !satya kaha aapne

Kewal Joshi said...

करते रहते खूब घोटाले,
खुद को 'पाक साफ़' बताते हैं.
बापू , कुछ एसा दो वरदान,
इनकी 'बुद्धि शुद्धि' कराते हैं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बधाई हो!
बीत गया है दो अक्टूबर!
अब एक साल बाद ही याद आयेंगी ये महान विभूतियाँ!

मन्टू कुमार said...

सही कहा...."ये कैंसी राह है अहिंसा की बापू,तुम्हारे नाम पर देश को सताते हैं"
उम्दा भाव लिए हुए कटाक्ष पूर्ण रचना |
आभार |

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।