Wednesday, September 11, 2013

'मेरे ख्यालात' 'mere khyalaat'

मेरे ख्यालात नहीं मिलने देते, मुझे उन किनारों से !

जिसके लिए मैं यूँ नदी सा,  बहता आ रहा हूँ !!

क्या मिटटी क्या पत्थर, भला क्या क्या देखूं मैं !


मैं पानी का वो जलजला हूँ,  जो मिलता है ले आता हूँ !! कॉपी राईट @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...