Friday, July 13, 2018

गौं घौर गुठ्यारों मा आज भी
डाळयोँ कु छैल पसरयूँ च!
सरकी च आफु आपरी खुट्टीयोंन्
यू मंख्यों कु दोष च मंखि हरच्युं च!

पोथ्लियों कु चुंच्याट, नुन्यारों कु घुंघ्याट
गाड-गदरियों कु सिंस्याट
आज भी जुकुडी बुथ्योंणु च!
शहरूँन् लल्चाई मंखि कु ज्यू
देखा धौं ज्यू आज खुदेंणु च! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...