Tuesday, June 19, 2012

हर राह पर पर शिखर हैं

बिखरी पड़ी इन राहों को मैं 
पहचान लेता हूँ !
कभी - कभी चल के दो कदम 
इन से ज्ञान लेता हूँ !
पूरव पशिचमी उत्तर दक्षिण हर ओर शिखर है 
ये जान लेता हूँ !
सब पर चलना आसन नहीं है 
ये मान लेता हूँ !
बिखरी पड़ी इन राहों को मैं 
पहचान लेता हूँ !
कभी - कभी चल के दो कदम 
इन से ज्ञान लेता हूँ !
सागर सी गहराई है, पहाड़ सी परछाई है,
जीवन के इस डगर, मिलती हर कठिनाई है 
मगर मैं ठान लेता हूँ !
बिखरी पड़ी इन राहों को मैं 
पहचान लेता हूँ !
कभी - कभी चल के दो कदम 
इन से ज्ञान लेता हूँ !  ..........रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...