Wednesday, December 18, 2019

बड़ा नही हूँ

बड़ा नही हूँ
हक भी नही है
बड़ा होने का!
अपनों के बीच
अपनों में रहना
अद्भुत अंदाज है
अपना होने का!
चौक खड़ियाँ वो सिलेटें
कब छोड़ दी, नही जानता
हाँ तेरे आने से
कुछ बदला है कद
मेरे छोटे होने का।
पानी धूप और हवा ने
कभी आवाज नही दी
जैंसे तुम दे रहे हो
कुछ अलग होने का।
क्या चाहते हो
अब यूँ जल कर
धूप खिला पाओगे
एक टाँग पर खड़े होकर
क्या एहसास है होने का। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'








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