Monday, October 10, 2022

खिड़कियाँ

आखिर तुम कब खोलोगे ?

खिड़कियाँ!
अपने मन मस्तिष्क की।

कानून, न्याय और अधिकार
सब पर आधिपत्य है तुम्हारा!

अपनी उलझनों पर तुम
चटकनियाँ चढ़ा के बैठे हो,
तुम्हारे हाथ मे कुछ नही
ये किस कंठ से कहते हो!

राम बनने की कोशिश में
हवा को छू लेते हो।
नाच रहा रावण मस्तिष्क पर
ये घूट कैसे पी लेते हो!

चाल दिख रही है हर एक को
ये कदमताल भी तुम्हारी ही है,
तुम जी रहे हों किस वहम में
ये लाचारी भी तुम्हारी ही है।

आखिर कब खोलोगे ?
खिड़कियाँ!
अपने मन-मस्तिष्क की। @- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

#राजनेता
#टूटतासमाज
#तड़फतीइंसानियत
#कुर्सियाँ
#चालाकियाँ




Sunday, April 17, 2022

आपके शौक

कब कहाँ और कैंसे यह अचानक लोगों के लिए प्रेरणा बन जायें यह कोई सोच भी नही सकता। आज दुनियाँ में लाखों उदाहरण भरे पड़े हैं। जिन लोगों ने अपने शौक को निरंतर रूप से आगे बढ़ाया है उनका शौक समाज के लिए प्रेरणा तो बन गया परन्तु उस शौक ने उनके साथ साथ हजारों लोगों की जिन्दगी ही बदल डाली। पैंसा एवं प्रतिष्ठा ये दो ही ही शब्द हैं जिनके लिए हर व्यक्ति पूरी जिन्दगी भर समय एवं सांसारिक भावनाओं का बोझ ढोता है। जो भी दुनियाँ में आता है इन दोनों शब्दों से खुद को न चाहाते हुये भी अलग नही कर सकता है। यह एक चमत्कार है। आज दुनियाँ के सामने करोड़ों रास्ते हैं इन दोनों तक कि पद यात्रा करने के लेकिन 99% लोग बीच में ही अपनी आशाएँ छोड़ देते हैं, इसमें सबसे बड़ी बाधा समाज का मार्गदर्शन। जितने भी लोग आज सफल हुये हैं उनका सफलता का एक ही राज है शौक, यदि वह अपने शौक का गला घोट देते तो सफलता नही मिलती। समाज की नजरें आपको तब तक रोकती हैं जब आप सफल नही बन जाते, आपके सफल बनते ही समाज का नजरिया स्वतः ही बदल जाता है। याद रखें जो सामाजिक जन आकांक्षाएँ आपके कदमों पर सरसरी नजरें गढ़ायें रहती हैं वही आपके सफल होते ही आपकी वाहवाही करने लगती हैं। किसी भी बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति की जीवनी  उठा कर देखें प्रत्यक्ष प्रमाण मिल जाता है। हम सब ये जानते हैं तो भी सफलता का प्रतिशत सदैव कम ही क्यों रहता है? इसका मुख्य कारण है 95% व्यक्ति व्यक्ति निरन्तरता से थक जाते हैं। यदि आप भी थक रहे हैं तो असफलता का दरवाजा आपका इंतजार कर रहा है।


Monday, February 21, 2022

जन्मजात योग्यता

लेखन और वाचन ऐंसे अद्भुत प्लेटफॉर्म हैं जो कि लाखों लोगों की मनो दशाओं को पुनर्जीवित कर लेते हैं मगर ये सब उस पर निर्भर होता है जो सुनता है या पढ़ता है। कुछ योग्यताएँ इंसान के अन्दर जन्मजात होती हैं। जरूरी नही सबसे ज्यादा अभ्यास करने वाला ही सफल होता है। अपने उन गुणों की पहिचान करना अत्यधिक जरूरी है। खुद को जाँचिए कहीं आप विपरीत दिशा की ओर तो नही जा रहे है। ऐंसा अक्सर इसलिए होता है कि हम लोग देखा देखी की दौड़ में खुद को पहिचान ही नही पाते हैं। अपने पड़ोसी, दोस्त या रिश्तेदार की देखादेखी में खुद की मिट्टी को पहिचान ही नही पाते हैं। साथ ही घरवालों के साथ साथ समाज का दबाव इतना अधिक होता है कि हम लोग न चाहाते हुये भी अपने जन्मजात प्रतिभा को कभी पहिचानने की कोशिश ही नही करते बस देखा देखी की हवा में बह कर अपने कैरियर को उलझा के रख देते हैं। अठारह वर्ष से अठाईस तीस कब निकल जाते हैं आज के युवा को मालूम ही नही पड़ता, जब तक वह खुद को देखने लायक होता है उसके जीवन पर डिग्रियों का भार बढ़ जाता है, कोई भी डिग्री या सर्टिफिकेशन किया है तो दूसरा रास्ता उसके लिए एक दीवार बन कर खडा हो जाता है वो अठाईस से लेकर तीस बत्तीस साल तक अपनी डिग्री को रास्ते पर ले जाने कि कोशिश करता है मगर अपनी लाईफ को कभी एनालाईज (Analyse) करने की कोशिश नही कर पाता इतने में भी सांसारिक रीति रिवाजों के बंधन भी घर वालों के कारण भार बनते चले जाते हैं और फिर एक बीमारी जिससे लोग तनाव कहते हैं घेर लेती है। हां कार्य कोई बड़ा या छोटा नही होता मगर उस कार्य को करने के लिए हमारे अन्दर जन्मजात योग्यता है कि नही यह जान लेना आज के समय मे अत्यधिक महत्वपूर्ण है। खासकर युवा साथियों को अपने कैरियर चुनते हुए खुद को जान लेना बहुत जरूरी है। उदाहरण भरपूर भरे पड़े हैं हर तीसरा व्यक्ति अच्छे पैंसे कमाकर या अच्छे सूट पहन कर आप लोगों को मोटिवेट कर रहा है और युवा ह्रदय अति शीघ्र मोटिवेट हो भी जाता है मगर क्या लाखों की पढ़ाई या मोटिवेशन ट्रेनिंग तुम्हें तुम्हारा अस्तित्व दे पायेगी या नही। कृपया देखा देखी में कभी भी अपने जीवन को न उलझाएं। हर तथ्य को पलट कर जरूर देखें आज के समय में जितनी बेरोजगारी बढ़ रही है उससे कई गुना तेजी से जॉब, व्यवसाय ये स्टार्टअप बढ़ रहे हैं। अपने जन्मजात गुण खंगालना शुरू करें। यदि आपके पास कोई अच्छा सर्टिफिकेशन, डिग्री या पद है तो उसको लगातार अपग्रेड करते रहें। यदि नही है तो भी खुद को आज के एवं आने वाले समय के अनुसार अपग्रेड करो। यदि आप अपनी डिग्री या डिप्लोमा या पद प्रतिष्ठा के कारण खुद के अपग्रेडेशन को रोक रहे हैं तो यह खुद के साथ एक धोखा है। 

Tuesday, February 1, 2022

जिंदगी हमें घसीट तो नही रही है ?

समय कहीं हमें घसीट तो नही रहा है?

दुनियाँ का हर व्यक्ति खुद के लिए चतुर होता है, आज हर  तीसरा व्यक्ति अच्छा पढ़ा लिखा है, हर छोर पर अच्छी जॉब भी है और अच्छा व्यवसाय भी साथ ही साथ रिस्क लेने की क्षमताओं में भी इजाफा हुआ है। पैंसा एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत कुछ है मगर सब कुछ नही यदि आज अपने चारों ओर नजर उठा के देखते हैं तो हर ओर एक नया स्टार्टअप नजर आ जायेगा। चाहे वो ट्रैवलिंग से सम्बंधित हो, खाने से सम्बंधित हो, फाईनेंस से सम्बंधित हो, दुकान या मॉल से सम्बंधित हो, पढ़ाई से सम्बंधित हो,लेखन से सम्बंधित हो,मंच से सम्बंधित हो, स्कूल या कालेज से संबंधित हो या तकनीकी डिग्री या सर्टिफिकेशन से सम्बंधित हो या राजनीति से सम्बंधित हो। लगभग हर क्षेत्र में नये नये लोगों ने परिचम लहराया है। मगर ये भी सच है कि अधिकांश मुँह लटकाये बैठे हैं उन्हें तनाव के साथ साथ अपनी शैक्षिक डिग्रियों ने घेर कर रख दिया है और जॉब के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसमे न तो उनकी गलती है और न ही उनके घर वालों की बल्कि एक तरफ दौडती हुई दुनियाँ की गलती है। लोग सब कुछ जान कर भी जॉब के लिए उतावले हो जाते हैं और जब अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप पारिश्रमिक नही खोज पाते हैं तो तनाव ने जीने लगते हैं या अपनी आकांक्षाओं को वहीं पर खत्म कर लेते हैं, या अपने अनुभव को अपने मन मस्तिष्क पर बोझ बना कर खुद से कम्प्रोमाइज की जिंदगी जीने लगते हैं। यदि आप भी इस जीवन के चक्र में फंसे घुट रहे हैं तो अपने स्किल्स को डेवेलॉप कीजिए साथ ही सकारात्मक रुख से आगे कदम बढ़ाने की चेष्ठा कीजिए। रास्ता है और जरूर मिलेगा धौर्य धारण कीजिए। मैं कोई मोटिवेशन ट्रेनर नही हूँ और न ही किसी को भ्रमित करने हेतु लिखता हूँ। यह सब मेरा अनुभव है। मेरे जैसे कई लोग होंगे जो आगे बढ़ना चाहाते हैं मगर उन्हें उनकी परिस्थितियां रोक रही हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन्हें उनके स्किल्स मालूम नही होंगे क्योंकि हमारी स्कूली शिक्षा हमें वो सब नही सीखाती हो जीवन को व्यवहारिक बना पाये,आज हमारे देश को स्वतंत्र हुये वर्षों हो चुके हैं मगर देश की अपनी मातृभाषा में कहीं भी 20 से 50 हजार या यूँ कहें लो प्रोफाईल वाली जॉब के लिए इन्टरव्यू का प्रथम गंतव्य अँग्रेजी से ही शुरू होता है। लेकिन कितने प्रतिशत लोग अँग्रेजी में परिपूर्ण हैं। देश का 70% तबका आज भी हिंदी ठीक नही बोल पता है। आप विश्लेषण खुद कीजिए  सब कुछ आपके सामने है।


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Sunday, January 30, 2022

E Store India ( ई स्टोर इंडिया ) सुपर मार्केट

आप बदलो या न बदलो! आपका बाजार बदल रहा है! चंद बर्षों से आप देखते आ रहे हैं कि जिस भी इंडस्ट्रीज ने लोगों को हेल्पिंग के नजरिये से काम करना शुरू किया या अपनी सर्विस से लोगों की समस्याओं का निपटारा किया वो इंडस्ट्रीज बड़े बड़े ब्रांड बन कर उभर कर बाजार में अपना प्रभुत्त्व स्थापित कर लेती हैं। उदाहरण आपके सामने हैं। ओला, उबेर, जमाटो, जेप्टो, पेटीम, WheelsEye, Groffers आदि अनेक मौजूद हैं और ये सब हमारे जीवन को नित्य प्रभावित कर रहे हैं या करते हैं। कुछ इनका उपयोग कर के व्यवसायी बन चुके हैं या बन रहे हैं। इस कड़ी में ई स्टोर इंडिया भी कुछ समय से हर व्यक्ति की जुवाँ पर बैठ रहा है। मगर कोई भी समाज किसी नही बस्तु या तकनीकी को शीघ्र पचा नही पाता है।  वो एक सन्देह के घेरे में खुद को खड़ा कर लेता है। हर हम इंसानों की फितरत है जब तक कोई किसी गड्डे को लांघ तक पर कर के नही कहता कि मैंने गड्डा लांघ लिया है तक तक हम विश्वास नही करते। मगर किसी न किसी को तो आगे आना है। हम आप आगे आयें या न आयें इससे किसी स्टार्टअप को कोई फर्क नही पड़ता। जॉब या व्यवसाय में भी कई बाधाएँ लांघनी पड़ती है। 10, 12 साल की पढ़ाई के सर्टिफिकेट भी काम नही आते। हाँ आजकल जो काम आता है वो स्कूल या कालेज का नाम या किसी जान पहिचान की वाले कि ताकत। ऑप्शन हजारों हैं मगर यदि रिसर्च के तौर पर सभी का विश्लेषण निकाला जाय तो हर जगह सफलता के चांस 1 से लेकर 5% हैं। अब सवाल यह आता है कि हम खुद को किस स्थान पर देखना चाहाते हैं। 

Note:- ई स्टोर इंडिया भी एक संभवना है आपके लिए सफलता की कोई गारंटी नही है हाँ यदि कैरियर के तौर पर आप चुनाव करते हैं तो सफलता की उम्मीद आपको आपके लक्ष्य तक ले जा सकती है। याद रखें पीछे क्या हुआ भूल कर अपने कदम आगे बढ़ाने में ही भलाई है। अन्यथा मजबूरी बस बढ़ना तो आगे ही है। 

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Thursday, January 27, 2022

E-Store India (ई स्टोर इंडिया)

समय के साथ तकनिकियाँ बदलती हैं और रोजगार सृजन की नई संभावनाएँ पटल पर अंगड़ाईयाँ लेने लगती हैं। सदियों से लोग पैंसे कमाने के तरीकों को बड़ी तेजी से बदलते हुये देखते आ रहे हैं लेकिन समय के बदलाव ने बाजार का प्रारूप ही बदल के रख दिया है। जैसे होम स्टे, OYO Room, Digital Marketing, Social Media Marketing, Online Education, Online Shopping, Blogging, AdWords, Adsense, Logo Design, Insurance Industries, financial area, Digital Currency, Crypto Currency आदि या यूँ कह सकते है फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में बड़ी तेजी से तकनीकी बदलाव बढ़ रहे हैं।

इन सबके बीच बड़ी तेजी से रिटेल चैन भी उभर कर आ रही हैं। इनमें से सबसे तेजी से जो अपने ग्राहक बना रही है उसका नाम आजकल हर तीसरे व्यक्ति की जुवां पर चढ़ा है वह है #ईस्टोरइंडिया । कंपनी ने अपना मार्केटिंग आईडिया बिल्कुल चेंज कर के रख दिया। अपने रेगुलर उपभोगताओं को ही अपने प्रचार प्रसार का पैंसा दे रही है और उन्हीं से कमा कर अपनी सपोर्टिंग ऑर्गनाइजेशनों को गति दे रही है। चंद सालों में करोना काल के बावजूद भी कंपनी अपने जुड़े उपभोगताओं एवं खुद के साम्राज्य को लगातार आगे बढ़ाती ही जा रही है साथ ही उन शहरों तक भी पहुँच रही है जहाँ पर मल्टी टाइप सुपर स्टोर की कल्पना भी नही की जा सकती है। अपने छोटे प्रारूप से लेकर कंपनी आज अपने खुद के मॉल का प्रारूप भी दुनियाँ के सामने रख चुकी है। कंपनी से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति व्यक्ति या परिवार आज अपनी जरूरतों का सामान उचित दर पर खरीद ही रहा है साथ ही अच्छे पैंसे भी कमा रहा है। ई स्टोर इंडिया (E-Store India)  बाजार के प्रारूप को बदलने वाली पहली कंपनी नही है बल्कि इस तरह की स्कीमों को लेकर बहुत सी कंपनियां जितनी जल्दी आयी उतनी ही जल्दी चली गयी मगर ई स्टोर इंडिया ने अपने कॉन्सेप्ट को लोगों तक एक अनोखे अंदाज में पहुँचाया है जो कि आज सफलता की ओर बड़ी तेजी से कदम बढ़ा रहा है। कुछ इसे पचा नही पा रहे हैं और कुछ इसके सिद्धांतो के साथ जुड़ कर आज अपने परिवार का अच्छे से पोषण कर रहे हैं। कंपनी कई क्षेत्रों में अपने पैर फैला रही है। जैसे आयुर्वेदिक उत्पाद, कॉस्मेटिक्स उत्पाद, फास्ट मूविंग कंज्यूमर उत्पाद (FMCG) गारमेंट, ई स्कूटी, रियल स्टेट आदि। कंपनी ने इंसान के जीनव की वह बस्तु पकड़ी है जिसके बिना जीवनयापन नही किया जा सकता साथ ही बढ़ती हुई बेरोजगारी को कैंसे दूर किया जा सकता है यह कम्पनी का मुख्य केंद्र रहा है। आज कंपनी के साथ बड़े बड़े ब्रांड जुड़ने के लिए अपना वेंडर रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। लोगों के टाईम एवं मनि इन्वेस्टमेंट को बड़ी सहता से रिटर्न देने का काम कर रही है यही फॉर्मूला इसकी ताकत बन कर उभर रहा है। 



Wednesday, January 5, 2022

हताशा एवं निराशा क्यों ?

मस्ताने बचपन से जब कोई भी व्यक्ति अपनी युवावस्था की ओर कदम बढ़ाता है तो लगभग अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों को प्राप्त कर चुका होता है। मगर 90% युवा इस उपलब्धि के बाद कुछ हताश एवं निराश दिखने लगते हैं क्योंकि जिंदगी का मुख्य पडाव शुरू हो चुका होता है। कुछ अपनी शैक्षणिक क्षमताओं के आधार पर एवं कुछ अपनी जानपहिचान वालों की पहुँच के कारण अपने कैरियर को तराशना शुरू कर चुके होते हैं मगर अनुपात देखा जाय तो हताश एवं निराश की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इनमें से भी 5 सालों के अन्दर कुछ अपनी पकड़ मजबूत कर के जिन्दगी की रफ्तार हिस्सा बन जाते है परन्तु अधिकांश इधर उधर भटकाव वाली जिन्दगी को लेकर तनाव का शिकार होकर या अपनी शैक्षिणक उपलब्धियों के कारण जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए खुद से लड रहे होते हैं। मैं भी खुद इस अनुभव का हिस्सा बन चुका था मगर मेरा एटिट्यूड सदैव लर्निंग वाला रहा। कभी भी परिस्थितियों से हार नही माना। परिस्थितियों से लड़ना ही हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है चाहे हो किसी भी आयुवर्ग का हो किसी भी समाज का हिस्सा हो। संपन्न हो या आर्थिक कमजोर। ऐंसा नही होता कि किसी संपन्न व्यक्ति को परिस्थितियां प्रभावित नही करती। हमारा मकसद हर उस युवा को एक व्यवस्थित जीवन यात्रा की ओर ले जाना है। यदि हमारी कहानी या जीवन यात्रा से किसी को मार्ग मिलता है प्रेरणा मिलती है या मोटिवेट होकर एक नये जीवन मार्ग का निर्माण निर्माण होता है तो इससे हमें कोई धन लाभ नही मिलेगा और न ही हमारे कार्यक्षेत्र में कोई प्रतिस्पर्धा उतपन्न होगी। मेरा मानना है कि हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं के कार्य, स्वयं के जीवन या स्वयं के संघर्षों से होती है। यदि कोई भी कार्य एक व्यक्ति कर सकता है तो दूसरा भी सुनिश्चित कर सकता है बशर्ते उस ओर बढ़ने के लिए मानसिक संतुलन एवं सीखने की उत्कंठा बहुत जरूरी है। आईये जीवन की इस संघर्षरत यात्रा को अपने कदमों एवं दुनियाँ के अनुभवों से जीतने की एक कोशिश करें। यदि ऐंसा कर पाते हैं तो सफलता सुनिश्चित है। आखिर शैक्षणिक उपलब्धियों के आधार पर  क्यों हम अपने जीवन को हताश एवं निराश बना के जीवन के साफर को संकुचित कर रहे हैं। शैक्षणिक उपलब्धियां हमारे जीवन को एक पथ पर ले जाने में सहायक हो सकती हैं जबकि उस पथ को प्रकाशित करने के लिए हमारा खुद के प्रति संकल्पित होना जरूरी है। हम मात्र अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के भरोसे ही सफलता प्राप्त नही कर सकते। हमें लगातार हो रहे जीवन मे व्यवहारिक बदलाओं को भी सीखना पडेगा तभी जीवन की यात्रा के संघर्ष को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आप किसी भी उम्र के क्यों न हो बाजार के परिवर्तनों को पढ़े, सीखें एवं परिवर्तित हो रहे स्किल्स को अपनाए। यह प्रयास लगातार बना रहना चाहिए सफलता नही भी मिलेगी तो एक अच्छे रास्ते का आप निर्माण जरूर कर लेंगे। आज के समय मे जितना आलम बेरोजगारी को लेकर फैल रहा उससे कई गुना ज्यादा रोजगार सृजित हो रहे हैं खुद को तराशें, अपने इंटरेस्ट को भी आप अपना कैरियर बना सकते हैं, जीरो इन्वेस्टमेंट से व्यापारिक गतिविधियों में कदम रख सकते हैं, लेखन से लेकर इंजीनियरिंग तक का हर प्लेटफॉर्म हर जॉब हर व्यवसाय आज आपकी उस सोशियल साईट पर उपलब्ध है जहाँ पर आप हर दिन 3 से 5 घंटे का समय खर्च कर रहे हैं वो चाहे फेसबुक हो, व्हाट्सएप हो इंस्टाग्राम हो या ट्विटर इस सब का उपयोग आप अपने कैरियर को बनाने में यूज कर सकते हैं। आप यदि 10वीं या 12वीं भी है तो भी आप एम. बी. ए. या सॉफ्टवेर इंजीनियर के समक्ष खड़े हो सकते हैं। मात्र अंग्रेजी से मत डरिये यह एक सब्जेक्ट है। अंग्रेजी न बोल पाने या न लिख एवं न पढ़ पाने का जो अवरोधक मन मस्तिष्क मे विराजमान है उसे दूर किया जा सकता है। हां ये जरूर है कि अंग्रेजी बोलने या लिखने के कारण व्यक्ति थोड़ा ज्यादा कांफिडेंस लगता है मगर आप ये जान ले ऐंसा नही है उसको भी अपने कैरियर को व्यवस्थित करने के लिए उतना ही समय देना पड़ता है जितना एक अंग्रेजी न जानने ये समझने वाले को। हाँ यहाँ पर एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूँ। हिंदी भी अपने आप मे एक व्यवसाहिक पहिचान बन चुकी है। बस एक संकल्प के साथ अपने कैरियर को आगे बढ़ाते रहें। सफलता के लिए यही एकमात्र बेसिक सिद्धान्त है। 

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...