Thursday, May 16, 2013

माँ


प्रकृति बदल गयी मानव की,
माँ का रूप भी बदल गया !
बेटा वारिस माँ की नजरों में,
बेटी का खुद घोट रही गला !!

माँ की नजरों की ममता,
उस पंछी सी फिरती है !
छोड़ कर नीड अपनी,
खुद उलझन में घिरती है !!

अपनी क्षणिक खुशियों के लिए,
रख लेती पत्थर हृदय पटल पर !
आखिर क्या मिलता है उसको,    
एक माँ से माँ यूँ कत्ल कर !!

माँ की ममता के इस रूप ने,
स्वरुप जहाँ का बदल दिया !
एक माँ ने माँ का ही हक़ लुटा,
स्वयं माँ ने माँ को यूँ प्रस्तुत किया !!  - राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’ 



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