Tuesday, May 17, 2011

अभी अभी तो राह पकड़ी है,


मैं चलने को तैयार हुआ,
मन में कुछ उलझन सी है,
आवाज न दे कोई राह में मुझको
अभी अभी तो राह पकड़ी है!
सपने आपने कब सच होंगे,
हर मंजिल एक बसेरा है,
जीवन जिसको समझा था मैं,
वो दिन रात और सबेरा है !........रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

मन बिचलित क्यों होता हैं

मैं खड़ा हूँ एक चौराहे पर,


राह सभी मुझे बुला रही हैं,


सुन पुकार इन राहों की अब,


मन बिचलित क्यों होता हैं,


लेकर यादें जो आया था,
अब वे हाथ हिला रही हैं,


देखा अकेला राही मुझको,


गलियां सभी बुला रही हैं .......... रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर ' फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...