Friday, February 2, 2018

गीली मिट्टी
कभी आंखों में
नव अंकुर सी
रेखांकित कर देती 
पल-पल को
गीली मिट्टी!
सपने पलने लगते
अपने चलने लगते
एहसास दिला जाती
क्षण भर में
गीली मिट्टी!
लेना चाहता है स्वरूप
तेरे आगोश में छुप कर
टहलता हुआ जल
बदल देती है रूप
गीली मिट्टी!@ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

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