मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।
सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के रूप में सरकार या तो स्कूली शिक्षा पर विश्वास नही कर पा रही है या विद्यार्थियों से भी पैंसे उगाई की एक एक स्किम बना रही है। समझ नही आ रहा यहाँ पर बोर्ड परीक्षा परिणाम के बाद आखिर सी यू ई टी की क्या जरूरत थी। इस से बच्चों पर एक नया बोझ बढ़ा है। इससे अच्छा होता कॉलेजों की संख्या बढ़ाती। ये तो उस विद्यार्थी के स्किल पर शक करने जैसी बात हो गयी जो पूरे साल मेहनत कर के अपनी बोर्ड परीक्षा को पास करता है। या देश के बाहरवीं बोर्ड परीक्षा के सिलेबस पर सवाल है। यदि स्किल ही मेजर करना था तो एक दिन की 2 घंटे की परीक्षा से भी विद्यार्थी का स्किल मेजर किया जा सकता था। युवाओं के लिए ये वैरियर क्यों लगाये जा रहे हैं। सरकार को इस तरह के सुवाव देनी वाली संस्थाओं का भी मूल्यांकन होना जरूरी है। काश हर युवा इन पद्धतियों को सोच और समझ रहा होता?
हर माता-पिता के चेहरों पर सी यू ई टी परीक्षा स्थल पर एक मायूसी थी जबकि उनका बच्चा सरकार द्वारा संगठित बोर्ड के नियमों के अनुरूप परीक्षा देकर अपनी स्किलता का अच्छा आधार प्रमाणित कर चुका था फिर क्या जरूरत थी ?
यह कोई अच्छा नजरिया नही है कॉलेजों में प्रवेश पाने का बल्कि विद्यार्थियों के स्किल पर उंगली उठाना जैंसा कदम है। इस विषय प्रदेश को बुद्धिजीवी भी सायद अभी तक अनजान ही हैं या किसी ने सोचा नही है जब एक उसी स्टैण्डर्ड की परीक्षा को विद्यार्थी पास कर चुका है तो फिर यह क्यों ?
कुछ लोगों की अलग राय हो सकती है कॉलेजों में प्रवेश को लेकर लेकिन जब वो लोग भी गहराई में जाकर सोचेंगे तो उनको भी परिणाम यही दिखेंगे।
स्किल इंडिया क्या यही है कि युवाओं को इस तरह की पतिक्षाओं में उलझा कर रख दो ताकि वो परीक्षाओं एवं परिणामों तक ही सीमित रहें। ये मेरा अपना मत है , सी यू ई टी की परीक्षाओं से लेकर बच्चों की हताश तक आज देखने को मिली है। लगता है हमारी सरकारें स्वास्थ्य एवं आधारभूत शिक्षा देने में पिछड़ रही है। बाकी रोजगार की तो बात ही क्या की जाय। लगता है सरकार के पास देश के युवाओं के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्थाएँ नही हैं इस लिए जाने अनजाने में इन हथकंडों को अपनाया जा रहा है। यह एक बहुत बड़ा भ्रमजाल हो सकता है आशा है इन मुद्दों को लेकर कानून का कोई अच्छा जानकार कोर्ट में जनहित याचिका जरूर लगाए ताकि लाखों युवाओं के भविष्य एवं देश की शिक्षा पद्धति और अभिभावकों के साथ युवाओं के स्किल का सम्मान रखा जाये। बच्चों को अपने अनुकूल विषय बस्तु चुनने का अधिकार मिलना जरूरी है। क्या यही व्यवस्था भारत को विश्व गुरु बनायेगी?