Wednesday, September 19, 2012

ये जीवन कुछ ऐंसा भी है


विन दर्पण में देखे हम,

जीवन की मांग भरते हैं,

सुइयां घडी की पकड़ के,

सोते हैं और जागते हैं !

यादों में लेके जो चलते हैं हम,

वो कहाँ राहों में हमें मिलते हैं !!!!!!!!! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
 


3 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी ...

mridula pradhan said...

choti si.....lekin achchi lagi.....

अज़ीज़ जौनपुरी said...

sundar prastuti

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