Sunday, June 18, 2023

उत्तराखंड के फल-फूल

तिमला (Timla) तिमला (Timla) जिसे संस्कृत में काकोदुम्बर और अंग्रेजी में Wild Fig या Ficus Palmata कहा जाता है — एक प्राचीन, औषधीय और पोषण से भरपूर जंगली फल है, जो विशेषकर भारत के हिमालयी और उपहिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है।
तिमला (Timla) क्या है? वर्ग: यह अंजीर (Fig) परिवार का एक जंगली फल है।
प्राकृतिक रूप से उगता है: यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नेपाल, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। वृक्ष: इसका पेड़ मध्यम आकार का होता है और इसकी पत्तियाँ बड़ी और गहरी होती हैं। फल छोटे, गोल और बाहर से हरे या बैंगनी रंग के होते हैं।
तिमला के पोषक तत्व
तिमला में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं: फाइबर विटामिन A, C और K कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबैक्टीरियल तत्व
तिमला (Timla) के आयुर्वेदिक और औषधीय लाभ पाचन शक्ति बढ़ाता है तिमला में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज को दूर करता है और आँतों की क्रियाशीलता सुधारता है। डायबिटीज़ में सहायक इसके फलों और पत्तों का काढ़ा रक्त शर्करा नियंत्रित करने में सहायक होता है। हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है और रक्त परिसंचरण सुधरता है। त्वचा रोगों में उपयोगी आयुर्वेद में तिमला को त्वचा संक्रमण, खुजली और फोड़े-फुंसी के उपचार में उपयोग किया जाता है। गले और श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी इसके पके फलों का सेवन गले की खराश, खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में लाभ देता है। दूध उत्पादन में सहायक (स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए) पारंपरिक ज्ञान में इसे दूध की मात्रा बढ़ाने में उपयोगी माना जाता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में तिमला का महत्त्व
स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा: तिमला के पेड़ पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं, विशेषकर बंदर, चिड़ियाँ और मधुमक्खियाँ इसके फल व रस का सेवन करती हैं। स्थानीय चिकित्सा में प्रयोग: ग्रामीण और पहाड़ी समुदाय इसका उपयोग पारंपरिक घरेलू उपचारों में करते हैं। कुपोषण के विरुद्ध प्राकृतिक विकल्प: यह प्राकृतिक सुपरफूड पहाड़ी ग्रामीणों के लिए आवश्यक पोषण उपलब्ध कराता है, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ आधुनिक चिकित्सा या पैकेज्ड फूड आसानी से नहीं पहुँचते।
तिमला का उपयोग कैसे करें?
फल के रूप में ताजा खाएं सूखा कर पाउडर या औषधि के रूप में उपयोग करें पत्तों का काढ़ा या रस बनाएं घरेलू नुस्खों में उपयोग करें (त्वचा, पेट या खांसी के लिए) सावधानी
अधिक मात्रा में सेवन करने से कभी-कभी दस्त या पेट में गैस हो सकती है। यदि आप एलर्जी प्रवृत्ति के हैं तो पहले थोड़ी मात्रा से शुरू करें।




आम (Aam)


सेब (Seb) Apple


आरु (आडू) Aadu


शहतूत (Shahtut)


मोलू (Mili)

बुराँस का पेड़ (Burans)

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घिंगारु ( Ghingaaru)

लिंगाड़े


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