कविता लेखन और कविता मंचन दोनों अलग अलग विधाएं हैं दोनों का स्वरूप अलौकिक है। सीमित अक्षरों से नव शब्द का सृजन और उस शब्द को स्वरमय मधुर परिकाष्ठा पर लाना कितनी कठिनाईयों का परिणाम हो सकता है इसका अनुमान किसी विशेष वयक्तित्व के धनी व्यक्ति को ही होता है। आज आप ऐंसे ही मधुर स्वर और अलौकिक शब्दों के जादूगर की एक अद्भुत अभिव्यक्ति से परिचित होने जा रहे हैं। माँ सरस्वती जिनकी स्वर लहरी में वास कर ले उनकी आवाज और उनके शब्दों को भला कौन अनदेखा कर सकता है। आज आप खुद सुनिये उनकी एक करुणामय मधुर वंदना।
ब्लॉग में आपको अनेक विषय वस्तुओं पर जानकारियाँ मिलेंगी जैंसे Education, Technology, Business, Blogging आदि।
Saturday, September 8, 2018
Subscribe to:
Posts (Atom)
मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)
यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...
-
तेज कदमों की रफ्तार समय के साथ दौड़ती जिंदगी क्या खोज रही मुट्ठी भर यादें लिए। सुख भी दुःख भी पल-पल बदल रहा फिर भी मुसाफिर सी भटकती जि...
-
समय का बदलाव कहें या टेक्नोलॉजी का विस्तार हर ओर डिजिटल ही डिजिटल नजर आ रहा है, चाहे कोई उत्पाद हो या कोई सर्विस। मार्केटिंग से लेकर, पढ़ा...
-
सफलता एक दिन में नही मिलती, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है सफलता बिना सीखे, भी नही मिलती। इस कड़ी में देहरादून के राहुल भटनागर जी को सुनत...