Saturday, September 8, 2018

संदीप रावत का कविता-पाठ

कविता लेखन और कविता मंचन दोनों अलग अलग विधाएं हैं दोनों का स्वरूप अलौकिक है। सीमित अक्षरों से नव शब्द का सृजन और उस शब्द को स्वरमय मधुर परिकाष्ठा पर लाना कितनी कठिनाईयों का परिणाम हो सकता है इसका अनुमान किसी विशेष वयक्तित्व के धनी व्यक्ति को ही होता है। आज आप ऐंसे ही मधुर स्वर और अलौकिक शब्दों के जादूगर की एक अद्भुत अभिव्यक्ति से परिचित होने जा रहे हैं। माँ सरस्वती जिनकी स्वर लहरी में वास कर ले उनकी आवाज और उनके शब्दों को भला कौन अनदेखा कर सकता है। आज आप खुद सुनिये उनकी एक करुणामय मधुर वंदना।



मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...