Friday, January 20, 2012

मतदाता

मत दाता तू कब समझेगा 
अंगूठे की आपनी ताकत को
सबसे प्यारा खेल है ये 
इस खेल की नजाकत को !
भूले विसरे आ जाते हैं 
झुण्ड बनाकर गली -गली में 
चहरे इनके खिल उठाते हैं 
फूल -फूल में कली-कली में !
नाम पे किसी के मत जाना 
झोली में किसी की क्या रखा है 
अंगूठे को अपने ये समझना 
कोई किसी का सगा नहीं है !
न पार्टी किसी की अपनी होती 
कुर्सी का ही खेल है सारा 
उस पर मिटते ये 'फिरौती' !
तन मन धन लूट के ये 
कुर्सी के गुणगान करते 
थे कभी तुम्हारी ही 'रज'
आज तुम्हारे भगवन बनते !! ............रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Sunday, January 8, 2012

जलना हो तो सूरज सा जल के देखो


दूसरों की खुशियों पे
दुःख जताने वालों,
आसमां की तरह 
छत चाहाने वालों,
क्यों तिनके तिनके पे, 
इस कदर जलते हो,
जब जलना ही है तो 
सूरज सा जल के देखो l 
धरती की छाती को, 
फाड़ने वालों,
चाँद की सतह पर 
पताका गाड़ने वालों,
खुद के कदमो की 
जमीं को भी देखो,
इरादे हैं तुम्हारे नेक तो 
सूरज सा बन के देखो 
हर ले हर तम 
दूसरे के घर का 
चिराग ही है अगर बनना
तो ऐंसा बन के देखो 
जब जलना ही है तो 
सूरज सा जल के देखो !........रचना -राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 




Sunday, January 1, 2012





म्यर उत्तराखंड ग्रुप ने 25 दिसम्वर 2011 को अपने वार्षिकोत्सव के 


अवसर पर अपनी स्मारिका `बुरांश'- का लोकार्पण किया,




www.myoruttrakhand.com 

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।