तुम नही आते
आजकल
व्यस्तता की
उलझनों में
सिमट कर
रह गये हैं।
पर कहाँ ?
खेत खलिहान
घर परिवार
सब तो अब
जमाने की
बातें हो चली!
हाँ कोई नया
झुनझुना मिला होगा
उसने समेट लिया
मन को मन से
तभी सब कुछ
भुलाकर गुमसुम हो।
बस लड़ रही हैं!
अपने सुकून के लिए
हम और हमारी यादें। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
आजकल
व्यस्तता की
उलझनों में
सिमट कर
रह गये हैं।
पर कहाँ ?
खेत खलिहान
घर परिवार
सब तो अब
जमाने की
बातें हो चली!
हाँ कोई नया
झुनझुना मिला होगा
उसने समेट लिया
मन को मन से
तभी सब कुछ
भुलाकर गुमसुम हो।
बस लड़ रही हैं!
अपने सुकून के लिए
हम और हमारी यादें। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'