Monday, April 29, 2013

कनु रूप धारियुं च युन्कू

नजर कुसांगी खोजदी खोजदी,
अपणी गौं की पुंगडीयौ तै
अंखियों मा कांडा सी चुभणा छन्,
देखिक यूँ कुड्डीयौ तै ! 

जौं मंखियों का खातिर,
गौं मा मोटर आयी,
बदलिगे मिजाज तौंकू,
अपणों छोड़ी चली ग्याई !
यूँ साग सग्वाड़ीयों तै
कैं जुकड़ी बिट्टी ठुकरैगे,
क्या उपजी होलू मतिमा तैउंकू,
की निर्भागी रुसांगे !
निर्भागी रुसांगे ! निर्भागी रुसांगे !
निर्भागी रुसांगे ! निर्भागी रुसांगे !   
नजर कुसांगी खोजदी खोजदी,
अपणी गौं की पुंगडीयौ तै !!
अंखियों मा कांडा सी चुभणा छन्,
देखिक यूँ कुड्डीयौ तै ! 

गौं भिट्टी उक्ल्यी कु बाटू,
गौं कु पंधेरों सी नातू
जाणी कख ख्वैग्यायी,
आपणों की बणायीं सगोड़ी टपरान्दी रैगे,
धुर्प्ल्याकु द्वार टूटयूँ उर्ख्याली ख्वैगे !
नजर कुसांगी खोजदी खोजदी,
अपणी गौं की पुंगडीयौ तै
अंखियों मा कांडा सी चुभणा छन्,
देखिक यूँ कुड्डीयौ तै !  - गीत – राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’



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