Thursday, September 12, 2013

कलम की गुस्ताखियाँ

कैंसे गुनगुनाऊ उन निगाहों के निशानों को,

जिनकी दरगाह सजी ह्रदय के मकानों में है !

दोष दूँ तो कैंसे उन अँधेरे चिरागों को मैं,


जो रौशनी की लौ बनके मुझे राह दिखाती हैं ! - कॉपी राईट @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...