Tuesday, May 6, 2014

चंपा के फूलों की भीनी भीनी महक,

आज भी फैलती है मेरे घर गाँव में, 

कुदरत ने दिया है हमें ये अनमोल तोफा,

हम भी खेले कूदें हैं चंपा की छाव में l @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 


 



हम परिंदे ही सही मगर समाज को नहीं बांटते,
खुद की उड़ान के लिए कभी रस्ते नहीं छांटते,
रखतें हैं हौसले खुद तिनके तिनके जोड़ने का,
किसी के चेहरे पर कभी अपनी ख़ुशी के लिए नहीं झांकते l @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...