Tuesday, September 4, 2012

बथौंउं


फुर्र फुर्र औंदी यु डांडियों कु बथौंउं,

जुकुड़ी मा मेरी कुद्ग्याली लगणु !

घर गौं की खुद यु समुणु लागी,

तिसोली आन्ख्यो की प्यास बुझणु !! ..........गीत राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  




2 comments:

Unknown said...

Dear Rajindra singh ji bahut bahut aabhar ......apne bada hi sundar geet likha hai

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रोली पाठक said...

राजेंद्र जी.....सुन्दर गीत....गुनगुनाने वाली मधुरता समेटे हुए...

सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

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