Thursday, January 7, 2016

दर्द सिपनयों कु

तुमारी आँख्यों मा देखा,


आँसू च घुमणू।


गौं कु भुल्यूं बाटू दिदौं


आज यू खोजणू।


बितड़ग्याँ तुम विचारा,


शहर की हवा मा।


जिंदगी हिटणा हाँ,


डॉक्टरुई दवाय मा। - @ पंक्तियाँ सर्वाधिकार, सुरक्षित, राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मालू के पत्तलों एवं डोने (Maalu Done Pattal)

यदि आप गूगल, फेसबुक या सोशियल मीडिया के अन्य प्लेटफॉमों का उचित उपयोग करते हैं तो क्या नही मिल सकता है। बस मन में सदैव कुछ नया सीखने की चाह ...