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Tuesday, September 4, 2012
Saturday, September 1, 2012
सांसों को को देखता ही नहीं
दिल ले गया था कोई कभी
अब तो जिस्म ही बेजान है !
सांसों को कोई देखता ही नहीं,
पत्थर भी कहने को यहाँ भगवान है !! .......रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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