गुमराह न करो आंसुओं को बहने दो
जलता है जिगर तो जलते रहने दो
बदलता है बक्त पल-पल नजराने
बौछारें बारिश की कभी धूप सहने दो
तूफान अकसर निकलते हैं राह देखो
टपकता है पानी वहां जहाँ छत न हो
कब तक बचोगे सावन तो आना ही है
हर रूत को जी लो जब यूँ जीना ही है
कहाँ कहाँ देगा ये दस्तक तू 'फरियादी'
जख्म खुद छुपते है सीने के तो रहने दे ! - गजल - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
जलता है जिगर तो जलते रहने दो
बदलता है बक्त पल-पल नजराने
बौछारें बारिश की कभी धूप सहने दो
तूफान अकसर निकलते हैं राह देखो
टपकता है पानी वहां जहाँ छत न हो
कब तक बचोगे सावन तो आना ही है
हर रूत को जी लो जब यूँ जीना ही है
कहाँ कहाँ देगा ये दस्तक तू 'फरियादी'
जख्म खुद छुपते है सीने के तो रहने दे ! - गजल - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'