मुझ को भी नेता बनना है
कोई बता दे मुझको,
कहाँ, कब, क्या पढना है,
मैं भी अरमान सजाये बैठा,
मुझ को भी नेता बनना है !
झूट बोलकर ताली बजवाना,
मन को मेरे भी भाता है,
निकलूं जब चौराहे पर,
राही देख मुझे घबराता है !
भरी सभा में शोर मचाना,
ये तो पहले से ही आता है !
दो अपनों को कैंसे लड़ना,
ये कहाँ सिखा जाता है !
पहन कर खादी सच है क्या .?
आदमी नेता बनजाता है ! - रचना – राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’
7 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
जिंदगी ने तो ताउम्र रेजा-रेजा किया..,
इस कदर बिखरा के मुकम्मल हो गया.....
bahut achhe Fariyadi ji.
neeraj 'neer'
behatareen prastuti
बहुत खूब ... फरियादी की फ़रियाद पूरी हो ...
खूबसूरत पेशकश
Bahut khub...
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