ब्लॉग में आपको अनेक विषय वस्तुओं पर जानकारियाँ मिलेंगी जैंसे Education, Technology, Business, Blogging आदि।
Thursday, January 17, 2013
Wednesday, January 9, 2013
आंसुओं का क्या है
जब तन दुखी हो,
जब मन ख़ुशी हो,
निकल आते हैं ये,
इन आंसुओं का क्या !
रोकें भी तो कैंसे इनको,
कोसें भी तो कैंसे इनको,
बिन जुवान के बोलते देखो,
हर भाव को तोलते देखो,
तश्वीर ही बन लेते हैं,
सुख दुःख को गौर से देखो !
कारण जो भी हो आने का,
संकेत उम्दा है दर्शाने का,
जो न बदला कभी हवा से,
ये वो आंसू है अपना सा का ! - रचना --- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
जब मन ख़ुशी हो,
निकल आते हैं ये,
इन आंसुओं का क्या !
रोकें भी तो कैंसे इनको,
कोसें भी तो कैंसे इनको,
बिन जुवान के बोलते देखो,
हर भाव को तोलते देखो,
तश्वीर ही बन लेते हैं,
सुख दुःख को गौर से देखो !
कारण जो भी हो आने का,
संकेत उम्दा है दर्शाने का,
जो न बदला कभी हवा से,
ये वो आंसू है अपना सा का ! - रचना --- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
Saturday, December 1, 2012
जग्गा जग्गा की ठोकरियोंन किस्मत जग्गैली,
नेअथ बिगड़ जांदी,
आपणो की सुध नि च,
बीराणों तै चांदी ! बीराणों तै चांदी !
हंसदा खेलदा घरबार
छोड़ी आ जांदा,
हरीं भरीं पुंगडी पतवाडी,
शहर मा क्या पांदा !
माकन किरायाकू,
बिसैणु भी नि च,
कोठियों माँ धोणु भांडा,
बथैण भी कै मु च !
जग्गा जग्गा की ठोकरियोंन,
किस्मत जग्गैली,
चला पहाडू मेरा भाइयों,
Monday, October 15, 2012
Wednesday, October 10, 2012
Thursday, October 4, 2012
अगर मैं रूक गयी तो
सोचो मेरे बारे में भी,
मैं थकने लगी हूँ अब,
सदियों से चलते चलते,
अब पाँव मेरे उखड़ने लगे हैं !
तुमने अपने जीवन को,
सरल सहज बना लिया है,
मेरे हर कदम को,
अदृश्य सा बना दिया है !
मेरा नहीं तो कम से कम
अपना ख्याल कीजिये,
जो पौधे काट रहे हो,
उनको उगा भी दीजिये !
मेरा आँचल पौधे ही हैं,
मेरा जीवन है छाया,
लहर चले जब उसके तन की,
तब महके मेरी काया !
मैं महकूँ तो जग महकेगा,
मैं चलूँ तो जग मचलेगा,
मेरी लहर के हर पहलू में,
सब का जीवन चहकेगा .......रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
नोट : आज इन्सान अपने जीवन के लिए प्रकृति का हर प्रकार से दोहन कर रहा है, सब कुछ तो कृत्रिम बन रहा है .........लेकिन कभी इन्सान ने हवा और पानी के बारे में नहीं सोचा, जिन पर पूर्णरूप से जीवन निर्भर है, इस प्रस्थिति को देख कर आज हवा पर कुछ शव्द समिटे है आप सब मित्रों की प्रतिक्रिया मेरे इस शव्दों को आधार दे पायेगी
Wednesday, October 3, 2012
बापू तुम्हे आज पुकारते हैं
बापू तुम्हे आज वही पुकारते हैं,
हर चौरह पर तुम्हारे नाम से जो भागते हैं,
देते है वो दलील हिंद को बचाने की,
मगर तुम्हारे हर अंजाम को लांघते हैं !
खबर नहीं अपने क़दमों की उन्हें,
दुसरे के क़दमों को रोकते हैं,
तुम्हारी दी राह को कर अनदेखा,
गैरों की राह पर देश को झोकते हैं !
लुट कर अस्मत इस देश की
महल खुद के बनाते हैं,
कुर्सी हर हाल में हो उनकी,
बेटों को भी चुनाव लड़ते हैं !
गिद्ध सा झपटे हैं ये कुर्सी पर,
घोटालों का अम्बर लगते हैं,
ये कैंसी राह है अहिंसा की बापू,
तुम्हारे नाम पर देश को सताते हैं ! रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
Subscribe to:
Posts (Atom)
सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।
मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो। सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...
-
जन जन से मिल कर शहर से निकल कर आती है सहमी सी आवाज की तुम मुझे बचालो! मुझे बचालो ! मुझे बचालो ! हर एक पहाड़ से टकराकर ...
-
मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो। सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...
-
मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।