Wednesday, January 9, 2013

आंसुओं का क्या है

जब तन दुखी हो,

जब मन ख़ुशी हो,

निकल आते हैं ये,

इन आंसुओं का क्या !

रोकें भी तो कैंसे इनको,

कोसें भी तो कैंसे इनको,

बिन जुवान के बोलते देखो,

हर भाव को तोलते देखो,

तश्वीर ही बन लेते हैं,

सुख दुःख को गौर से देखो !

कारण जो भी हो आने का,

संकेत उम्दा है दर्शाने का,

जो न बदला कभी हवा से,

ये वो आंसू है अपना सा का ! - रचना --- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'














6 comments:

Madan Mohan Saxena said...

superb.

Anonymous said...

"बिन जुबान के बोलते देखो
हर भाव को तोलते देखो"

संध्या शर्मा said...

सच है इन आंसुओं का क्या है ये तो सुख हो या दुःख बोल ही पड़ते हैं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

ज्योत्स्ना शर्मा said...

मन की मौन अभिव्यक्ति ..आँसू !!
बहुत खूब

संजय भास्‍कर said...

वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

संजय भास्‍कर said...

मुस्कुराहट पर ...ऐसी खुशी नहीं चाहता

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।