Wednesday, January 5, 2022

हताशा एवं निराशा क्यों ?

मस्ताने बचपन से जब कोई भी व्यक्ति अपनी युवावस्था की ओर कदम बढ़ाता है तो लगभग अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों को प्राप्त कर चुका होता है। मगर 90% युवा इस उपलब्धि के बाद कुछ हताश एवं निराश दिखने लगते हैं क्योंकि जिंदगी का मुख्य पडाव शुरू हो चुका होता है। कुछ अपनी शैक्षणिक क्षमताओं के आधार पर एवं कुछ अपनी जानपहिचान वालों की पहुँच के कारण अपने कैरियर को तराशना शुरू कर चुके होते हैं मगर अनुपात देखा जाय तो हताश एवं निराश की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इनमें से भी 5 सालों के अन्दर कुछ अपनी पकड़ मजबूत कर के जिन्दगी की रफ्तार हिस्सा बन जाते है परन्तु अधिकांश इधर उधर भटकाव वाली जिन्दगी को लेकर तनाव का शिकार होकर या अपनी शैक्षिणक उपलब्धियों के कारण जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए खुद से लड रहे होते हैं। मैं भी खुद इस अनुभव का हिस्सा बन चुका था मगर मेरा एटिट्यूड सदैव लर्निंग वाला रहा। कभी भी परिस्थितियों से हार नही माना। परिस्थितियों से लड़ना ही हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है चाहे हो किसी भी आयुवर्ग का हो किसी भी समाज का हिस्सा हो। संपन्न हो या आर्थिक कमजोर। ऐंसा नही होता कि किसी संपन्न व्यक्ति को परिस्थितियां प्रभावित नही करती। हमारा मकसद हर उस युवा को एक व्यवस्थित जीवन यात्रा की ओर ले जाना है। यदि हमारी कहानी या जीवन यात्रा से किसी को मार्ग मिलता है प्रेरणा मिलती है या मोटिवेट होकर एक नये जीवन मार्ग का निर्माण निर्माण होता है तो इससे हमें कोई धन लाभ नही मिलेगा और न ही हमारे कार्यक्षेत्र में कोई प्रतिस्पर्धा उतपन्न होगी। मेरा मानना है कि हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं के कार्य, स्वयं के जीवन या स्वयं के संघर्षों से होती है। यदि कोई भी कार्य एक व्यक्ति कर सकता है तो दूसरा भी सुनिश्चित कर सकता है बशर्ते उस ओर बढ़ने के लिए मानसिक संतुलन एवं सीखने की उत्कंठा बहुत जरूरी है। आईये जीवन की इस संघर्षरत यात्रा को अपने कदमों एवं दुनियाँ के अनुभवों से जीतने की एक कोशिश करें। यदि ऐंसा कर पाते हैं तो सफलता सुनिश्चित है। आखिर शैक्षणिक उपलब्धियों के आधार पर  क्यों हम अपने जीवन को हताश एवं निराश बना के जीवन के साफर को संकुचित कर रहे हैं। शैक्षणिक उपलब्धियां हमारे जीवन को एक पथ पर ले जाने में सहायक हो सकती हैं जबकि उस पथ को प्रकाशित करने के लिए हमारा खुद के प्रति संकल्पित होना जरूरी है। हम मात्र अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के भरोसे ही सफलता प्राप्त नही कर सकते। हमें लगातार हो रहे जीवन मे व्यवहारिक बदलाओं को भी सीखना पडेगा तभी जीवन की यात्रा के संघर्ष को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आप किसी भी उम्र के क्यों न हो बाजार के परिवर्तनों को पढ़े, सीखें एवं परिवर्तित हो रहे स्किल्स को अपनाए। यह प्रयास लगातार बना रहना चाहिए सफलता नही भी मिलेगी तो एक अच्छे रास्ते का आप निर्माण जरूर कर लेंगे। आज के समय मे जितना आलम बेरोजगारी को लेकर फैल रहा उससे कई गुना ज्यादा रोजगार सृजित हो रहे हैं खुद को तराशें, अपने इंटरेस्ट को भी आप अपना कैरियर बना सकते हैं, जीरो इन्वेस्टमेंट से व्यापारिक गतिविधियों में कदम रख सकते हैं, लेखन से लेकर इंजीनियरिंग तक का हर प्लेटफॉर्म हर जॉब हर व्यवसाय आज आपकी उस सोशियल साईट पर उपलब्ध है जहाँ पर आप हर दिन 3 से 5 घंटे का समय खर्च कर रहे हैं वो चाहे फेसबुक हो, व्हाट्सएप हो इंस्टाग्राम हो या ट्विटर इस सब का उपयोग आप अपने कैरियर को बनाने में यूज कर सकते हैं। आप यदि 10वीं या 12वीं भी है तो भी आप एम. बी. ए. या सॉफ्टवेर इंजीनियर के समक्ष खड़े हो सकते हैं। मात्र अंग्रेजी से मत डरिये यह एक सब्जेक्ट है। अंग्रेजी न बोल पाने या न लिख एवं न पढ़ पाने का जो अवरोधक मन मस्तिष्क मे विराजमान है उसे दूर किया जा सकता है। हां ये जरूर है कि अंग्रेजी बोलने या लिखने के कारण व्यक्ति थोड़ा ज्यादा कांफिडेंस लगता है मगर आप ये जान ले ऐंसा नही है उसको भी अपने कैरियर को व्यवस्थित करने के लिए उतना ही समय देना पड़ता है जितना एक अंग्रेजी न जानने ये समझने वाले को। हाँ यहाँ पर एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूँ। हिंदी भी अपने आप मे एक व्यवसाहिक पहिचान बन चुकी है। बस एक संकल्प के साथ अपने कैरियर को आगे बढ़ाते रहें। सफलता के लिए यही एकमात्र बेसिक सिद्धान्त है। 

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