कब कहाँ और कैंसे यह अचानक लोगों के लिए प्रेरणा बन जायें यह कोई सोच भी नही सकता। आज दुनियाँ में लाखों उदाहरण भरे पड़े हैं। जिन लोगों ने अपने शौक को निरंतर रूप से आगे बढ़ाया है उनका शौक समाज के लिए प्रेरणा तो बन गया परन्तु उस शौक ने उनके साथ साथ हजारों लोगों की जिन्दगी ही बदल डाली। पैंसा एवं प्रतिष्ठा ये दो ही ही शब्द हैं जिनके लिए हर व्यक्ति पूरी जिन्दगी भर समय एवं सांसारिक भावनाओं का बोझ ढोता है। जो भी दुनियाँ में आता है इन दोनों शब्दों से खुद को न चाहाते हुये भी अलग नही कर सकता है। यह एक चमत्कार है। आज दुनियाँ के सामने करोड़ों रास्ते हैं इन दोनों तक कि पद यात्रा करने के लेकिन 99% लोग बीच में ही अपनी आशाएँ छोड़ देते हैं, इसमें सबसे बड़ी बाधा समाज का मार्गदर्शन। जितने भी लोग आज सफल हुये हैं उनका सफलता का एक ही राज है शौक, यदि वह अपने शौक का गला घोट देते तो सफलता नही मिलती। समाज की नजरें आपको तब तक रोकती हैं जब आप सफल नही बन जाते, आपके सफल बनते ही समाज का नजरिया स्वतः ही बदल जाता है। याद रखें जो सामाजिक जन आकांक्षाएँ आपके कदमों पर सरसरी नजरें गढ़ायें रहती हैं वही आपके सफल होते ही आपकी वाहवाही करने लगती हैं। किसी भी बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति की जीवनी उठा कर देखें प्रत्यक्ष प्रमाण मिल जाता है। हम सब ये जानते हैं तो भी सफलता का प्रतिशत सदैव कम ही क्यों रहता है? इसका मुख्य कारण है 95% व्यक्ति व्यक्ति निरन्तरता से थक जाते हैं। यदि आप भी थक रहे हैं तो असफलता का दरवाजा आपका इंतजार कर रहा है।
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