Thursday, November 28, 2019

बथुआ, बथुवा, Bathuva, बथुवा के फायदे

बथुआ या बथुवा को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।

साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता  रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे और हमारी बुजुर्ग सिर से ढेरे व फयास (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पानी से बाल धोया करती। बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवै में क्या क्या है? मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स?

तो सुने, बथुवे में क्या नहीं है? बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43  Kcal होती है।

जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है, और साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डळी हो तो इस खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना? गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।

यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।  बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुवे में जिंक होता है जो कि शुक्राणु वर्धक है मतलब किसी भाई को जिस्मानी कमजोरी हो तो उसको भी दूर कर दे बथुवा।

बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।

कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और *यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।

पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।

मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।

पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।

आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।

मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुवा काम आता है और हाँ सिर के बाल क्या करेंगे शैम्पू इसके आगे।
हम आज बथुवे को भी कोंधरा, चौळाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों की बजाय खरपतवार समझते हैं।



बाथवे की अधिक जानकारी के लिए निम्न वीडियो जरूर सुने। 





Monday, November 25, 2019

परमल, गुजकरेला, किंकोड़, घुनगड़ी और मीठा करेला Kankoda

पहाड़ की संस्कृतियहां के खान-पान की बात ही अलग है। यहां के अनाज तो गुणों का खान हैं
ही, सब्जियां भी पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। ऐसी ही खास पहाड़ी सब्जी है मीठा करेला, जिसे
अलग-अलग जगहों पर अलग नाम से जाना जाता है। कुछ लोग इसे परमला कहते हैं कई जगह
ये ककोड़ा के नाम से जानी जाती है।

शहरों में इसे राम करेला कहा जाता है। इसे ये नाम इसके गुणों की वजह से मिला है। इसे परमल, गुजकरेला, किंकोड़ा और घुनगड़ी भी कहा जाता है। अगर आप ठेठ पहाड़ी हैं तो मीठा करेला की सब्जी आपने जरूर खाई होगी। ये पहाड़ी सब्जी गुणों की खान हैं, अगस्त से लेकर नवंबर तक ये सब्जी पहाड़ में बेलों पर खूब उगती है।

इससे जुड़ी एक और मजेदार बात आपको बताते हैं दरअसल ये गुणों की खान तो है ही साथ ही
इसकी सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है अगस्त से लेकर नवंबर तक ये पहाड़ों में खूब उगता है अगर
हम आपको इसके गुणों के बारे में बताना शुरू करेंगे तो आप भी इस पहाड़ी सब्जी के मुरीद हो
जाएंगे।

एक शोध में पता चला है कि इसमें न केवल पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद है, बल्कि
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व भी
हैं।

आप जानते ही होंगे कि आयरन तत्व न होने से एनीमिया, सिरदर्द या चक्कर आना,
हीमोग्लोबिन बनने में परेशानी होना जैसी परेशानियां शरीर को पस्त कर देती हैं। इसके अलावा
एंटीऑक्सिडेंट अक्‍सर अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और बीमारियों को रोकने का काम करते
है।

कैंसर से बचाने, आंखों की रोशनी के लिए, मजबूत लिवर के लिए एंटी ऑक्सीडेंट शानदार
चीज है।करेला और वह भी मीठा। बात भले ही गले नहीं उतर रही हो, लेकिन है सोलह आने सच।
वैसे यह करेला चीनी की तरह मीठा नहीं होता, लेकिन कड़वा न होने के कारण इसे मीठा करेला कहते हैं।


पहाड़ में इसे ज्यादातर कंकोड़ा और कई इलाकों में परबल, राम करेला आदि नामों से भी जाना जाता है। कंकोड़ा ऊंचाई वाले इलाकों में अगस्त से लेकर नवंबर तक उगने वाली सब्जी है। पहाड़ में बरसात की सब्जियों के आखिरी पायदान पर यह लोगों के पोषण के काम आता है। हल्के पीले व हरे रंग और छोटे- छोटे कांटों वाली इस सब्जी मिनटों में तैयार हो जाती है।

बनाने की प्रक्रिया भी अन्य सब्जियों की तरह ही है। हां! यह जरूर ध्यान रखें कि कढ़ाई में छौंकते-छौंकते और अल्टा-पल्टी कर हल्की भाप देते ही कंकोड़े की सब्जी बनकर तैयार हो जाती है। कंकोड़े की की सूखी सब्जी जितनी जायकेदार होती है, उतनी ही आलण (बेसन का घोल) डालकर तैयार की गई तरीदार सब्जी भी। इसके अलावा कंकोड़े के सुक्सों की सब्जी भी बेहद स्वादिष्ट होती है।

सीजन में आप कंकोड़ों को सुखाकर किसी भी मौसम में आप सुक्सों की सब्जी बना सकते हैं। सुक्सों को भिगोकर बनाई गई तरीदार सब्जी का भी कोई जवाब नहीं। सब्जी के
साथ इसके बीज खाने में खराब लगते हैं। लेकिन, यदि बीजों को अलग से भूनकर खाने में आनंद आता है।

जब कंकोड़े छोटे-छोटे होते हैं तो उन्हें कच्चा भी खाया जा सकता है। कच्चे खाने में यह खूब स्वादिष्ट
लगते हैं और ककड़ी (खीरा) की तरह हल्की महक देते हैं। कड़वा करेला जहां डायबिटीज का दुश्मन है, वहीं मीठा करेला यानी कंकोड़ा भी डायबिटीज की प्रभावशाली दवा है।

सभी तरह के चर्म रोग व जलन में भी यह उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस पेट के कीड़ों को मारने सहायक है। कुष्ठ रोग में भी कंकोड़ा को लाभकारी माना जाता है। इसका स्वरस कील-मुहांसों को ठीक करने के भी काम आता है, जबकि इसकी जड़ को सुखाकर बनाया गए चूर्ण का लेप चर्म रोगों के लिए बहुत उपयोगी है।एक शोध में पता चला है कि कंकोड़ा में न केवल पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद है, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व भी इसमें हैं।

बता दें कि आयरन की कमी होने से एनीमिया, सिरदर्द, चक्कर आना, हीमोग्लोबिन बनने में परेशानी होना जैसी परेशानियां शरीर को पस्त कर देती हैं। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट अक्सर अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों को रोकने का काम करते है।

कंकोड़ा फाइबर, प्रोटीन और कॉर्बोहाइड्रेट की भी खान है।इसके पौधे पर बीमारियों का प्रकोप भी नहीं होता, जिस कारण यह पहाड़ों में खूब पनपता है। अब तो देहरादून व हल्द्वानी जैसे शहरों में कंकोड़ा मिलने लगा है।

कंकोड़ा लौकी कुल की सब्जी है। इसका वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा (एल) स्चार्ड है।
इसका एक नाम राम करेला भी है। यह नाम कैसे पड़ा, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं, लेकिन किंवदंती है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान इसका सेवन किया था। सो, इसे राम करेला कहा जाने लगा। भले ही सीमांत में बहुतायत में मिलने वाले मीठे करेले को सब्जी के तौर पर पहचान मिली है।

लेकिन अपने स्वाद के लिए पहचाने जाने वाला मीठा करेला औषधीय गुणों से भी भरपूर है। शोध में पता चला है कि इसमें न केवल पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद है, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व भी हैं। मीठा करेला सीमांत के किसानों की आय का जरिया भी बना है।

जिला मुख्यालय के बाजार में बिकने वाला मीठा करेला लोगों को खूब भा रहा है। मीठा करेला को उत्तराखंड में कई नामों से जाना जाता है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में इसे परला, मीठा करेला, राम करेला, गुजकरेला, काकोड़े, किंकोड़ा, घुनगड़ी, केकुरा आदि नामों से पहचान मिली है।
नेपाल में इसे बडेला कहा जाता है।

इसका वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा स्चार्ड है। सितंबर से लेकर दिसंबर तक ये सब्जी पहाड़ में बेलों पर खूब उगती है। आम तौर पर मीठा या राम करेले को सब्जी के तौर पर जाना जाता है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसके औषधीय गुणों से अंजान हैं।

इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद है। साथ ही इसमें प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व मौजूद हैं। आखों की रोशनी बढ़ाने के लिए भी मीठा करेला रामवाण है। इसे फाइबर, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की खान भी कहा जाता है।

इसका नाम राम करेला या मीठा करेला क्यों पड़ा किसी को भी इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन किवदंती के अनुसार वनवास के दौरान राम के इसका सेवन करने से इसे राम करेले के नाम से प्रसिद्धि मिली। खासकर यह डायबिटीज के लिए कारगर सिद्ध होता है।

आप जानते होंगे की कड़वा करेला जहां डायबिटीज का दुश्मन है, वहीं मीठा करेला यानी कंकोड़ा भी डायबिटीज की प्रभावशाली दवा है। सभी तरह के चर्म रोग व जलन में भी यह उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस पेट के कीड़ों को मारने सहायक है।

कुष्ठ रोग में भी कंकोड़ा को लाभकारी माना जाता है। इसका स्वरस कील-मुहांसों को ठीक करने के भी काम आता है, जबकि इसकी जड़ को सुखाकर बनाया गए चूर्ण का लेप चर्मरोगों के लिए बहुत उपयोगी है। सिर्फ मीठा करेला या कड़वा करेला ही हमारे स्वास्थ को सुचारु रूप से नहीं
चलाते बल्कि सभी प्राकृतिक सब्जिया हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखती है। 






Wednesday, November 13, 2019

कॉपी पेस्ट प्रोटेक्ट सामग्री को कैंसे कॉपी करें

अक्सर हम लोगों को पढ़ते पढ़ते कई वेब साइटों पर कुछ अच्छी सामग्री पा लेते हैं मगर वो कॉपी नही हो पाती है क्योंकि वेबसाईट के ऑनर ने उसे प्रोटेक्ट किया हुआ होता है। और यह बहुत अच्छी बात भी है क्योंकि उनकी मेहनत है जब भी हमें उस लेख को पढ़ना पड़ेगा या तो उस वेबसाईट पर जाना पड़ेगा या उसको किसी फाईल में सेव करना पड़ेगा। मगर जब यह बात किसी विषय बस्तु की हो जैंसे अलग अलग परीक्षाओं में आने वाले प्रश्न पत्रों की हो तो आखिर कितना समय बर्बाद होगा इसी के मध्यनजर आज हम सीखेंगे की किसी वेबसाईट की प्रोटेक्ट सामग्री को कैंसे हम सरलता से कॉपी कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए सीखो सिखाओ की निम्न वीडियो द्वारा जानते हैं।







Sunday, November 3, 2019

हनारा गाँव सिरसेड़ Hamara Gaon Sirsed

आपना घर गाँव भला किसे अच्छा नही लगता मगर हमारे गाँव की बात की कुछ अलग है, कई सारी जाती के लोग हमारे गाँव मे रहते हैं, आज गाँव मे छोटे-बड़े का भेद भाव नही है। जैंसा देखने की दृष्टि से लग रहा है वैसा ही यह सम्पन्न भी है। गाँव में कठैत, भंडारी, कुँवर, नेगी, रावत, बनमाळ इस तरह की जन जातियाँ निवास करती हैं। शिक्षा की दृष्टि से यह पूर्णतया साक्षर है।  यदि देखा जाय तो 10 से 55 की उम्र तक कोई भी आज अशिक्षित नही है। गाँव में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अध्यापक, युवा जुझारू एवं संघर्षशील अध्यापकों के कारण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा है। गाँव के लोग पूर्व समय से ही सेना, पुलिस, होटल, एवं अन्य सरकारी सेवाओं में अपनी सेवा देते रहे हैं उन्हीं के अनुसरण के कारण आज भी काफी संख्या में युवा सेना, पुलिस, अध्यापन के साथ साथ अन्य सरकारी सेवाओं एवं स्वरोजगार की ओर भी बढ़ रहे हैं। हमारे गाँव का नाम सिरसेड़ (कडकोट पट्टी ) कीर्तिनगर, देवप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।  पूरा गांव देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें।  हमें आशा ही नही बल्कि पूरी उम्मीद है आप गाँव के प्रकृति नाजारों का आनन्द लेंगे। भविष्य में गाँव के इतिहास को जानने के लिए गाँव का रुख करेंगे। हमारे गाँव मे आप सभी स्नेहीजनों का हार्दिक स्वागत है।




Monday, October 28, 2019

फेसबुक से पैंसे कैंसे कमा सकते हैं।

जॉब एवं व्यवसाय को आधुनिक तकनीकी पूरी टक्कर दे रही है या सीधे तौर पर कहा जाय तो आज का सोशियल मीडिया भी जॉब एवं व्यवसाय का एक पर्याय बन चुका है बस जरूरत है तो इसको जानने की। यूट्यूब, ब्लॉग, वेबसाइटों से तो बहुत समय से लोग बहुत अच्छे पैंसे बना रहे हैं मगर एक सच यह भी है कि फेसबुक से भी कई सारे लोग बहुत अच्छा पैंसा बनाने लग चुके हैं ।  आईये जानते हैं रणजीत जी से कि कैंसे फेसबुक पेज से पैंसे बनाये जा सकते हैं। अधिक जानकारी के रणजीत जी इस वीडियो से जानते हैं। 



Tuesday, October 8, 2019

Make professional logo with in the minute

किसी भी कार्य को करने के लिए कार्य का नाम और उसको जानने के लिए उसका लॉगो बहुत जरूरी होता है। मगर जब जरूरत होती है तो तब हमें प्रोफेशनल लॉगो बनाने वाला नही मिल पाता है। ज्यदातर लोग इस प्रोफेशन से अनभिज्ञ होते हैं आईये जानते हैं ऐंसी वेबसाईट जो हमें हमारी जरूरत के अनुसार लॉगो डिजाईन कर कर दे दे।


~ 'चलो चाँद देखें'~


चाँद को चाँद की तलाश
आसमाँ भी खुश है आज
बादल महक रहे हैं देख
छतों का हर्षोल्लास!

निगाहें झाँक रही हैं
खुद का विश्वास
महकती छवि आज
गर्वित हुआ एहसास।

श्रद्धा मन मे उमड़ती
कर अलौकिक श्रृंगार
चाँद भी मदहोश हुआ
पा कर चाँद का दीदार! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

#करवाचौथ
#दीदार_चाँद_का

Tuesday, October 1, 2019

How to start your business

व्यवसाय शुरू कैंसे करें। या शुरू करने से पहले क्या क्या तैयारियाँ करनी हैं, टेक्ससेस और राजिस्ट्रेशन कैंसे करना है। कौन सी वेबसाईट है जहाँ पर हर प्रकार के सर्टिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन बहुत कम दाम पर किये जाते हैं। साथ ही नये लोगों को व्यवसाय शुरू करते समय क्या क्या सावधानी रखनी होती हैं। आईये जानते हैं ध्रुव राठी जी से।



Monday, September 30, 2019

Advance New Features in Youtube Studio Analytics

यूट्यूब के न्यू एडवांस फीचर अपडेट। यदि आप यूटूबर और ब्लॉगिंग की ओर बढ़ना चाहते हैं तो यह यह यूट्यूब न्यू एडवांस एनालिटिक्स आपको अच्छा अनुभव दिला सकते हैं।


Google Alerts

गूगल अलर्ट (Google Alert ) क्या है और इससे हम कैंसे अपनी अभिरुचि के अनुरूप सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं। साधारणतः हमें अपनी रुचि के अनुरूप कंटेंट, सब्जेक्ट, जॉब, कैरियर, कोर्स आदि चुनने में बहुत सी प्रॉब्लम होती हैं, गूगल अलर्ट (Google Alert ) से हम इस संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं। हम गूगल पर हो रहे अपनी अभिरुचि के अपडेट को गूगल अलर्ट से प्राप्त कर सकते हैं, इससे हमें अपनी अभिरुचि के अनुसार किसी भी विषय बस्तु की या सर्विस की उचित जानकारी मिल जाती है, साथ ही हम अपनी अभिरुचि के केंद्र बिंदुओं पर अच्छी रिसर्च भी कर सकते हैं। तो आईये जानते हैं गूगल अलर्ट की सेटिंग्स कैंसे करें।


Sunday, September 29, 2019

Submit your website on search engines

अपनी वेबसाईट को सर्च ईंजन में कैंसे समिट करें। निम्न वीडियो में आप सीख सकते हैं अपने ब्लॉग एवं वेबसाईट को कैंसे और किन किन सर्च इंजनों पर हम समिट कर सकते हैं। 


Friday, September 27, 2019

Google Tag Manager

स्कीमा डेटा गूगल टैग मैनेजर (Shema Data With Google Tag Manager क्या है है और इसकी जरूरत क्यों पड़ती है। यह टेक्निकल इंफॉर्मेशन है बिना देखे समझना मुश्किल सा होगा इसलिए सीधे चलते हैं अमित तिवारी जी की यूट्यूब वीडियो पर। 


Tuesday, September 24, 2019

Digital Marketing One Of The Top Career

बचपन से हम 10, 12, 15 या 20 साल अपने पढ़ाई (Schooling, Education) के क्षेत्र में निकाल देते है। अब सोचने वाली बात ये है कि इसके बाद भी कितने प्रतिशत लोग साधारण रुप से लगातार कक्षाएँ उत्तीर्ण करने के बावजूद भी अपने पैरों पर बिना किसी की सहायता के खड़े हो पाते हैं। यदि देखा जाय तो मुश्किल से 10% लोग । किसी भी फील्ड में जाने के लिए शिक्षा के प्रमाण पत्रों के साथ-साथ पुनः आपकी दक्षता का भी निरीक्षण होता है और उसके बाद ही कोई भी ऑर्गनाइजेशन आपकी कीमत लगाती है। यह प्रतिस्पर्धा दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आजकल जॉब या स्वरोजगार (Job, Business or Entrepreneurs) के लिए सबसे मजबूत क्षेत्र देखा जा रहा है वह है डिजिटल मार्केटिंग ( Digital Marketing Career ) । यहाँ पर यह बिल्कुल नही कहा जा रहा है कि डिजिटल सर्टिफिकेट लेने के बाद या किसी बड़े डिजिटल कोर्ष करने के बाद तुरन्त कोई अच्छी जॉब मिल जायेगी या कोई व्यवसाय शुरू हो जायेगा। परन्तु वर्तमान बदलते परिवेश को देख कर शत-प्रतिशत आईडिया लगाया जा सकता है कि आने वाले समय के लिए आपका डिजिटल होना अनिवार्य है अन्यथा आप एक साधारण एकाउंटटेंट या क्लर्क तक ही सीमित रहेंगे। कहने का अर्थ है चाहे आप किसान ही क्यों नही है यदि आप को बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करनी है तो आपको डिजिटल का सहारा लेना ही पड़ेगा। मैं अपनी कई आर्टिकलों में बता चुका हूँ डिजिटल का मतलब वेब डिजाईनर ( Web Designer) , फेसबुक ऐड ( Social Media Marker )चलाने वाला या सर्च ईंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) तक सीमित नही होता यह एक तरह से कंप्लीट स्पॉट है जिसके अन्य प्रोफाइलों की तरह ही विभिन्न विभाग हैं। हर विभाग का अपना अस्तित्व है। आज इस ओर कदम बढ़ाने के लिए मार्केट में भरपूर संसाधन उपलब्ध हैं। डिजिटल मार्केटिंग सीखने के लिए ऑनलाईन एवं ऑफ लाईन दोनों रास्तों का उपयोग भली भाँति लोग वर्षों से करते चले आ रहे हैं। इस इंडस्ट्रीज में कई लोग सराहनीय कार्य कर रहे हैं। लेकिन सदैव यह याद रखना चाहिए अपनी दक्षता के अनुरूप ही कोई भी व्यक्ति बाजार में आना स्थान बना पाता है और यह कोई साधारण खेल नही है। लगातार अपडेशन आपकी क्षमता को निखरता है। इस क्षेत्र की अधिक जानकारी के लिए आप इस क्षेत्र के टॉप डिजिटल मार्केटर, ब्लॉगर एवं यूटूबर को पढ़ और सुन सकते हैं। आईये इस कड़ी में आप से मिलवाते हैं पुष्कर राज ठाकुर जी एवं अमरेश भारतीय जी डिजिटल मार्केटिंग के टॉप टेन चेहरों में से एक हैं, इनका एक बहुत अच्छा यूट्यूब चैनल है, ये मोटिवेशनल स्पीकर हैं साथ ही बहुत बेहतरीन लेखक भी हैं अब आप ये मत कहना कि हमनें इन्हें पढ़ा ही नही। मित्रो पढोगे तो तब जब आप इस क्षेत्र से अपने आपको  जागरूक करोगे। मैं भी खुद आप सभी की तरह एक साधारण विद्यार्थी था, लेकिन टेक्नोलॉजी के प्रति मेरा रुजान मुझे इस फील्ड की ओर ले जा रहा है। मैं खुद मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज को आगे बढ़ा रहा हूँ। मेरा मानना है कि किसी भी क्षेत्र के लिए सर्टिफिकेट से ज्यादा जरूरी आपका अपना स्किल होता है। बिना तकनीकी शिक्षा (Engineering Education ) के हम खुद एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ( Manufacturing Unit) चला रहे हैं यह भी डिजिटल मार्केटिंग की देन है। अपने भी दो ब्लॉग हैं यूट्यूब चैनल हैं, वेबसाईट है और ये सारे खुद के खुद बनाये हैं जो यूनिट हम लोग चला रहे हैं उसे दस साल हो चुके हैं बिना व्यवसाय ज्ञान के और बिना व्यवसाय पारिवारिक पृष्टभूमि के और सबसे ज्यादा जो चौकाने वाली बात है बिना इन्वेस्टमेंट के हम लोग लगातार आगे बढ़ रहे हैं खुद के साथ-साथ आठ दस लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। इन दस सालों में हमारे पास न तो कोई वर्कशॉप टेक्निकल व्यक्ति है न ही कोई मार्केटिंग या सेल्स टीम है। आशा है आप सभी को मेरे द्वारा लिखे ये लेख पसंद आ रहे होंगे। ये लेख आने वाले युवाओं के लिए एक प्रेरणा हो सकते हैं ऐंसा मेरा विश्वास है। अब चलते है निम्न इंटरव्यू पर। 


Monday, September 23, 2019

Back Link Generator Tools

आज का समय डिजिटल का है और देश मे मोबाईल टेक्नोलॉजी का विस्तार व्यापक रुप से हो रहा है जिसके कारण घर के हर पांच सदस्यों में से तीन के पास मोबाईल है और आज मोबाईल का मतलब बदल गया है मोबाईल मतलब इंटरनेट (Internet) अचानक से इंटरनेट का उपयोग बढ़ने से डिजिटल मार्केटिंग क्षेत्र भी बढ़ गया है। लेकिन लोग फिर भी डिजिटल का मतलब वेबसाइटों के डिजाईनिंग (Website Designing) तक ही सोच रहे हैं, जबकि डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) का अपने आप मे एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। दुनियाँ के हर क्षेत्र में डिजिटल मार्केटिंग की जरूरत महसूस होने लगी है चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट। आज यहां पर बात करते हैं सर्च ईंजन ऑप्टिमाइजेशन के बैक लिंक की। यह विधि भी गूगल सर्च ईंजन ऑप्टीमाइजेशन रैंकिंग में वेब पेज या वेब साईट को अच्छी रैंक दिलवाती है, बस हमें इसके लिए कुछ बैकलिंक एनालिसिस टूल्स ( Backlink Analysis Tools ) और 
 स्पैम स्कोर चेकर्स टूल्स ( Spam Score Checker Tools ) की कुछ जानकारी की जरूरत होती है उसे हम किसी डिजिटल एक्सपर्ट या गूगल की मदद लेकर जान सकते हैं। बहुत से बैक लिंक गूगल पर मैजूद हैं जिनमे से फ्री भी हैं और पेढ भी हैं। कोशिश करें कि बैक लिंक क्रेट करते समय उनकी कुछ रिसर्च कर लें। अधिक जानकारी के लिए निम्न वीडियो से सीख सकते हैं।


 




Sunday, September 22, 2019

सफलता के लिए लगातार सीखना जरूरी है।

सफलता एक दिन में नही मिलती, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है सफलता बिना सीखे, भी नही मिलती। इस कड़ी में देहरादून के राहुल भटनागर जी  को सुनते हैं उनकी जिंदगी के पहलू से हो सकते हम खुद को रिलेट कर पायें। एक असफलता से सीखना बहुत सरल एवं महत्वपूर्ण है। क्योंकि समाज कि हर नजर असफलता को खरोंचती रहती है। हम सभी इसके अनेकों बार शिकार हुये हैं। परन्तु यह सत्य है जो इन बातों से घबरा कर बैठ गया वो कभी सफलता की सीढ़ियां नही चढ़ सकता।


मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।