Wednesday, April 16, 2014

गीत

धुँआ जलते जिगर का देखते है कहाँ कब किसी ने,

अँगार सा जलता है ये और लोग देखते हैं पसीने,

जख्म इतने है बने विन खंजर के इस तन पे,

एक एक को कुरेदा है हर एक सदी ने ! गीत @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  









लुटे हैं कई बार

डूब गया है मेरा भारत देखो चंद चेहरों में,

बिखर गया यहाँ का इंसान चुनावी घेरों में,

लुटे हैं कई बार बच बच के अपनों से, 

फंसे हैं  हर बार सागर सी लहरों में l  रचना @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...