डूब गया है मेरा भारत देखो चंद चेहरों में,
बिखर गया यहाँ का इंसान चुनावी घेरों में,
लुटे हैं कई बार बच बच के अपनों से,
फंसे हैं हर बार सागर सी लहरों में l रचना @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
बिखर गया यहाँ का इंसान चुनावी घेरों में,
लुटे हैं कई बार बच बच के अपनों से,
फंसे हैं हर बार सागर सी लहरों में l रचना @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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