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Thursday, December 19, 2013
Thursday, October 24, 2013
पूछा रे पूछा पूछा (Puchha re Puchha Puchha)
दानी सयांणी आन्ख्यों छणी
पूछा रे पूछा पूछा
कख भीटि आई बथौं बणिक
यू रीति रिवाज कैकू च
यूँ दानी सयांणी आन्ख्यों छणी !
दानी सयांणी आन्ख्यों छणी
पूछा रे पूछा पूछा
नौउ विकाश कु ली तै चल्णु
कैकी खूटियों न हिटणु च
हरी भरीं कांठियों मा मेरी
विष बनिक रिटणु च
पूछा रे पूछा पूछा
यूँ दानी सयांणी आन्ख्यों छणी !
दानी सयांणी आन्ख्यों छणी
पूछा रे पूछा पूछा
भेल्य बिटौमा मोटर आगि
मन्खी यख भीटी भाग्णु च
गौ गुठ्यारू सब मुर्झागी शहर
हफार हैसणु च
पूछा रे पूछा पूछा
यूँ दानी सयांणी आन्ख्यों छणी !
दानी सयांणी आन्ख्यों छणी
पूछा रे पूछा पूछा
आई कख भीटि बथौं बणिक
यू रीति रिवाज कैकू च
गौं गैल्यी पुस्तैनी
मिटी गैनी आज
डामूका खातिर खुदेंन यी पाखी
निर्भागी पाणीन कु बिकरालअ रूप
बाबा केदार भी नि संभाल सकी
पूछा रे पूछा पूछा
यूँ दानी सयांणी आन्ख्यों छणी !
दानी सयांणी आन्ख्यों छणी
पूछा रे पूछा पूछा
आई कख भीटि बथौं बणिक
यू रीति रिवाज कैकू च
गैल्यी पुस्तैनी मिटी गैनी आज
डामूका खातिर खुदेंन यी पाखी
निर्भागी पाणीन कु बिकरालअ रूप
बाबा केदार भी नि संभाल सकी – गीत - राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी'
Wednesday, September 25, 2013
Thursday, September 12, 2013
Wednesday, September 11, 2013
Friday, May 31, 2013
कम्प्यूटर युग में हमारी भाषा का आधार किराये का मकान है
इस कम्प्यूटर युग में हिंदी की स्थिति पर असमंजस्य ज्यूँ का त्यूं बना हुआ है, कुछ लोगों की मजबूरी के कारण विकाश हुआ फौंट सिस्टम और ट्रांसलेशन टूल्स का ..........क्या आप जानते है आज के कम्प्यूटर युग में हिंदी का अपना कोई ठिकाना नहीं है वो किराये के मकान में रहती है हाँ ये सच है कि एक अच्छे किरायेदार के रूप में उसने अपने आप को स्थापित कर लिया है .................ये बात सिर्फ और सिर्फ हिंदी के लिए ही नहीं अपितु विश्व की तमाम अन्य भाषाओं के लिए भी है अंग्रेजी को छोड़कर ......सब की भूमिका एक किरायेदार की है .............(अन्तर्जाल) अन्तर्राष्ट्रीय कम्प्यूटर तन्त्र पर सिर्फ और सिर्फ इंग्लिश का ही बोलबाला है ............जिसप्रकार बी. सी. सी. आई. ने हमारे देश के क्रिकेट को जकड रखा है उसी प्रकार (WWW) वर्ल्ड वाईड वेब ने सम्पूर्ण भाषाओँ को जकड रखा है...................भाषा के क्षेत्र में ये बहुत ही ज्वलंतसिल मुद्दा है मगर हमारी सरकारें और भाषा विभाग इस पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाहते हैं ......हो सकता है यहाँ पर भी भाषा की कोई फिक्सिंग हो रही हो
आप इस पंक्ति को देखिये ................इन्टरनेट पर एकमात्र स्थान जहाँ पर आपको हिंदी के वेब एड्रेस मिलतें हैं ।
Here you will be able to find links to all popular websites which have Hindi content.
मगर आधार देखिये इसका भी अंग्रेजी है सिर्फ फौंट सिस्टम और ट्रांसलेशन टूल का फायदा हिंदी को मिल रहा है ..................आप क्या कहते हैं क्या हमारी भाषाएँ आपना आधार स्थापित नहीं कर पाएंगी या स्थापित करने की कोशिश ही नहीं की गयी है
आप इस पंक्ति को देखिये ................इन्टरनेट पर एकमात्र स्थान जहाँ पर आपको हिंदी के वेब एड्रेस मिलतें हैं ।
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मगर आधार देखिये इसका भी अंग्रेजी है सिर्फ फौंट सिस्टम और ट्रांसलेशन टूल का फायदा हिंदी को मिल रहा है ..................आप क्या कहते हैं क्या हमारी भाषाएँ आपना आधार स्थापित नहीं कर पाएंगी या स्थापित करने की कोशिश ही नहीं की गयी है
Wednesday, May 29, 2013
कन मा भुलअला
द्नकण ल्ग्ज्ञाछीन
नान्नी ख्यूटीयोंन
जुकड़ी
मा बांधिक पापी पीड़ा
भुलअला
भी त कनकै क भुलअला
आन्ख्यों
मा आंसू समाल्य्धिक !
चुबुणु
रल्लू यु याद कु कान्डू
घंतुलियों
की तीस कन कै बुझअला
मुखुडी
की रौनक त छूपाई भी जांदी
क्यूँकाल्यु सी बाडूली कन मा भुलअला !
द्नकण ल्ग्ज्ञाछीन
नान्नी ख्यूटीयोंन
जुकड़ी
मा बांधिक पापी पीड़ा
भुलअला
भी त कनकै क भुलअला
आन्ख्यों मा आंसू समाल्य्धिक !
शहरु की चकाचोंद मा
बिसरी भी जाला त
जुकुड़ी कु डाम कन कै मीटैला
जग्दु अंगार सी सुल्गुणु रंदू जू
तै आग तै कन मा !
अदाण कु ऊमाल्द सी बार बार अलू
भाड पौंअण सी तुम कन मा बचौला
जुकड़ी
मा बांधिक पापी पीड़ा
भुलअला
भी त कनकैक भुलअला ! – गीत – राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’
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