Wednesday, September 25, 2013

मैं पत्थर हूँ (main patthar hun )


मंदिर में रख दो मुझको, 

या ठुकरा दो चौराहों पर l

मैं पत्थर हूँ पत्थर ही रहूँगा,

हे मानव मुझे गुमराह न कर ll

संवार कर यूँ न रख मुझे,

मैं सारे जहाँ का ठुकराया हूँ l

हंस कर रो न पाउँगा फिर,


मैं पल पल का सताया हूँ ll -  रचना – राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी’


4 comments:

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

sundar rachna ... :)

asha sharma dohroo said...

सुंदर अभिव्यक्ती

Parihar Photo Studio Gwaldam said...

Aati sundram fariyadi ji kya baat hai .....

Unknown said...

वाह, बहुत खूब ......

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।