Friday, March 23, 2012

मेरे देश का क्या होगा

मन भ्रमित हैं सब के अब
आँखें झील सी लहराती
इक बेचारी राजनीति से
लड़खड़ाते भारतवासी
राम रहीम का देश था ये
शांति ही इसकी लाठी थी
दूसरों की खुशियों पे कुर्वानी
ऐंसी मेरे देश की थी माटी .........रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

2 comments:

रविकर said...

बढ़िया प्रस्तुति | आपकी कई रचनाएं पढ़ीं |

भावपूर्ण ।।

प्रतिभा said...

अच्छा लगा ये ब्लॉग ....बाकी पोस्ट भी पढूंगी ' राम रहीम का देश था ये शान्ति ही इसकी लाठी थी '

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