मन भ्रमित हैं सब के अब
आँखें झील सी लहराती
इक बेचारी राजनीति से
लड़खड़ाते भारतवासी
राम रहीम का देश था ये
शांति ही इसकी लाठी थी
दूसरों की खुशियों पे कुर्वानी
ऐंसी मेरे देश की थी माटी .........रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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2 comments:
बढ़िया प्रस्तुति | आपकी कई रचनाएं पढ़ीं |
भावपूर्ण ।।
अच्छा लगा ये ब्लॉग ....बाकी पोस्ट भी पढूंगी ' राम रहीम का देश था ये शान्ति ही इसकी लाठी थी '
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