Tuesday, September 16, 2014

विज्ञापन को बस्तु की गुणवता और उपयोगिता का आधार न मना जाय क्योंकि जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण मिटटी होती है और लोग मिटटी को ही कुचल के चल देते हैं l - @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Tuesday, September 2, 2014

पद्मा सचदेवा एवं बतौर मुख्य वक्ता शम्भुनाथ शुक्ल जी, कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ विमिलेश कांत वर्मा जी, साहित्यकार मनोज भावुक, अलका सिंह एवं क्षमा सिंह विशिष्ट अतिथि के हाथों विष्णु प्रभाकर साहित्य सम्मान लेते हुए मैं ये मेरा सौभाग्य है l




Wednesday, August 13, 2014

ये जमी सूरज चाँद सितारे वही हैं,
यहाँ आदमी बदला और इमान बदलता है l 
इंसान वही रास्ते वही और शाम वही है, 
कोई धर्मं बदले और कोई भगवान् बदलता है l - रचना सर्वाधिकार सुरक्षित राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

माँ के चार रूपों की आज स्थिति स्त्री, गौ, धरती और भाषा

माँ के हर रूप को देखो 
ये कैंसे नोंच रहे हैं l
बैठे हैं हम शांत तपोवन में 
नजरें झुकाए क्या सोच रहे हैं ? 

कट रही गौ एक तरफ 
लुट रही लौ एक तरफ 
क्षीण हो रही दिव्या धरा की शाखाएँ 
मिट रही पल-पल अपनी ही भाषाएँ 
और हम मौन खड़े गूंगे बैठे हैं l 

माँ के हर रूप को देखो 
ये कैंसे नोंच रहे हैं l
बैठे हैं हम शांत तपोवन में 
नजरें झुकाए क्या सोच रहे हैं ? रचना सर्वाधिकार सुरक्षित राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 



सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...