Sunday, December 12, 2021

शब्द

शब्द! रख लो कुछ मेरे, वक्त पर काम आयेंगे, कल मैं आऊँ या न आऊँ, ये सुबह शाम आयेंगे! शब्द! रख लो कुछ मेरे, वक्त पर काम आयेंगे! देखना! बदलता रहेगा हर चेहरे का रंग-रूप, धूप और पानी तो सब ये मौसम के नजारे हैं। उलझने तभी आती है जब जरूरी काम आयेंगे। शब्द! रख लो कुछ मेरे वक्त पर काम आयेंगे। @- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

5 comments:

Unknown said...

b'ful words

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Manisha Goswami said...

बहुत ही उम्दा

हरीश कुमार said...

बहुत सुंदर

अनीता सैनी said...

उलझने तभी आती है जब जरूरी काम आयेंगे। शब्द! रख लो कुछ मेरे वक्त पर काम आयेंगे... वाह!क्या खूब कहा।
सादर

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