कविता लेखन और कविता मंचन दोनों अलग अलग विधाएं हैं दोनों का स्वरूप अलौकिक है। सीमित अक्षरों से नव शब्द का सृजन और उस शब्द को स्वरमय मधुर परिकाष्ठा पर लाना कितनी कठिनाईयों का परिणाम हो सकता है इसका अनुमान किसी विशेष वयक्तित्व के धनी व्यक्ति को ही होता है। आज आप ऐंसे ही मधुर स्वर और अलौकिक शब्दों के जादूगर की एक अद्भुत अभिव्यक्ति से परिचित होने जा रहे हैं। माँ सरस्वती जिनकी स्वर लहरी में वास कर ले उनकी आवाज और उनके शब्दों को भला कौन अनदेखा कर सकता है। आज आप खुद सुनिये उनकी एक करुणामय मधुर वंदना।
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सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।
मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो। सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...
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जन जन से मिल कर शहर से निकल कर आती है सहमी सी आवाज की तुम मुझे बचालो! मुझे बचालो ! मुझे बचालो ! हर एक पहाड़ से टकराकर ...
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मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।
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