जब तन दुखी हो,
जब मन ख़ुशी हो,
निकल आते हैं ये,
इन आंसुओं का क्या !
रोकें भी तो कैंसे इनको,
कोसें भी तो कैंसे इनको,
बिन जुवान के बोलते देखो,
हर भाव को तोलते देखो,
तश्वीर ही बन लेते हैं,
सुख दुःख को गौर से देखो !
कारण जो भी हो आने का,
संकेत उम्दा है दर्शाने का,
जो न बदला कभी हवा से,
ये वो आंसू है अपना सा का ! - रचना --- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
जब मन ख़ुशी हो,
निकल आते हैं ये,
इन आंसुओं का क्या !
रोकें भी तो कैंसे इनको,
कोसें भी तो कैंसे इनको,
बिन जुवान के बोलते देखो,
हर भाव को तोलते देखो,
तश्वीर ही बन लेते हैं,
सुख दुःख को गौर से देखो !
कारण जो भी हो आने का,
संकेत उम्दा है दर्शाने का,
जो न बदला कभी हवा से,
ये वो आंसू है अपना सा का ! - रचना --- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
6 comments:
superb.
"बिन जुबान के बोलते देखो
हर भाव को तोलते देखो"
सच है इन आंसुओं का क्या है ये तो सुख हो या दुःख बोल ही पड़ते हैं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
मन की मौन अभिव्यक्ति ..आँसू !!
बहुत खूब
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
मुस्कुराहट पर ...ऐसी खुशी नहीं चाहता
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