दूसरों की खुशियों पे
दुःख जताने वालों,
आसमां की तरह
छत चाहाने वालों,
क्यों तिनके तिनके पे,
इस कदर जलते हो,
जब जलना ही है तो
सूरज सा जल के देखो l
धरती की छाती को,
फाड़ने वालों,
चाँद की सतह पर
पताका गाड़ने वालों,
खुद के कदमो की
जमीं को भी देखो,
इरादे हैं तुम्हारे नेक तो
सूरज सा बन के देखो
हर ले हर तम
दूसरे के घर का
चिराग ही है अगर बनना
तो ऐंसा बन के देखो
जब जलना ही है तो
15 comments:
इरादे हैं तुम्हारे नेक तो
सूरज सा बन के देखो
बहुत खूब फरियादी जी
NAMASKAR FARIYADI JI .
BAHUT HI KHOOBSURAT RACHNA .........ATTI UTTAM .
इस कदर जलते हो.
जब जलना ही है तो
सूरज सा जल के देखो,........WAH HAR SHABD DIL ME UTAR GAYA .
BAHUT KHHOB ...SUNDER RACHNA KE LIYE ABHAR .
सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
वाह...बहुत खूब....बड़ी अच्छी प्रेरणा दी है आपने ।
SUNDAR RACHNA BHAI..
गजब ...की रचना है कुँवर भाई जी .......ग्रेट .
जब जलना ही है तो
सूरज सा जल के देखो,
अपनत्व बाँट के देखो
इरादे हैं तुम्हारे नेक तो
सूरज सा बन के देखो
बहुत ही सुंदर
बधाई स्वीकार करें
जीवन की सार्थक सोच को व्यक्त करती कविता
बधाई
आप अपनी ही शैली में मरती हुई संवेदना को जिलाने की कोशिश कर रहे हैं। यूं ही सृजनरत रहिये फरियादी जी !
शिवदयाल
आप सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद ......ये मेरा सौभाग्य है कि आप सब मित्रो के स्नेह और आशीर्वाद से मेरी रचनाओं को मार्गदर्शन मिल रहा है ....आशा है आपका स्नेह यूँ ही बना रहेगा|
दूसरों की खुशियों पे
दुःख जताने वालों,
आसमां की तरह
छत चाहाने वालों,
क्यों तिनके तिनके पे
इस कदर जलते हो.
जब जलना ही है तो
सूरज सा जल के देखो,
धरती की छाती को
फाड़ने वालों,
चाँद की सतह पर
पताका गाड़ने वालों,
खुद के कदमो की
जमीं को भी देखो,---बहुत उम्दा
जरूर
बहुत ही सरल शब्दों में यथार्थ रचना।आपकी लेखन शैली बड़ी ही निराली है। अद्भुत।
दादा बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण रचना
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