ये आँखे तो दर्पण हैं
अधर पर जो न आ पाये
इन पर हर रोज़ उभरता है
मन का मौसम कैंसा भी हो
इन पर सब कुछ दिखता है
ये आँखे तो .........ये आँखे तो ....
ये आँखे तो दर्पण हैं !
खुशियाँ भी फुहवारे बन कर
गम आते हैं लेकर रिमझिम
अक्स इन पर ऐंसे उभरते
जैंसे मानो हो प्रतिबिंम्ब
ये आँखे तो ......... ये आँखे तो ........
ये आँखे तो दर्पण हैं !.......रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
12 comments:
aankhe to aaiyna hi hoti hai
bahut khub
गम आते हैं लेकर रिमझिम
अक्स इन पर ऐंसे उभरते
जैंसे मानो हो प्रतिबिंम्ब
ये आँखे तो ......... ये आँखे तो ........
ये आँखे तो दर्पण हैं !.......
.ankhen sab dil ka haal bata dete hain..
bahut hi badiya prastuti..
ये आँखे तो दर्पण हैं !
खुशियाँ भी फुहवारे बन कर
गम आते हैं लेकर रिमझिम
अक्स इन पर ऐंसे उभरते
जैंसे मानो हो प्रतिबिंम्ब
waah kamla ker diya aapne . behtrenn rachna ke liye aapko badhai
बहुत सुन्दर , सार्थक प्रस्तुति,आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
आँखों से देखा आपको,
आपका प्रतिबिम्ब उभरा,
और बस गया मन में,
फिर अहसास हुआ,
ये आँखे तो दर्पण हैं,
आपकी कविता पढ़कर भी,
२०.१०.२०११
E-mail: j_jayara@yahoo.com
मन का मौसम और आंखे दर्पण....वाह
सभी मित्रों का आभार आशा है आपका मधुर स्नेह मिलता रहेगा एवं भविष्य में इसी तरह प्रेरित करते रहिंगे
बहुत सुंदर रचना..बधाई. वाकई में आँखें कितना कुछ करती हैं :)
बेहद सुन्दर रचना |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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man ka mausam kaisa bhi ho ......
inme roj ubharta hai .,......... bahut khoob
dhnywad nimantran hetu
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
Adhar par Jo na aa PAYE Inn par roj ubharta hai...bahut hee sundar...
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